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Maharashtra : तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे देवेंद्र फडणवीस

by | Dec 4, 2024 | देश, मुख्य खबरें, राजनीति

Maharashtra : 2019 में अपनी चुनावी हार और विपक्ष के आरोपों के बीच, देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को चेतावनी देते हुए कहा था, “मेरा पानी उतरा देखकर मेरे किनारे घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस जरूर आऊंगा।” फडणवीस ने अपनी इस बात को सच कर दिखाया और अब बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार महाराष्ट्र की कमान सौंप दी है। विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगने के बाद, वह राज्य की राजनीति में एक मजबूत नेता और प्रमुख धुरी के रूप में स्थापित हो गए हैं।

राजनीतिक सफर और मुख्यमंत्री कार्यकाल

देवेंद्र फडणवीस पहली बार 2014 में महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री बने। वह 1972 के बाद वसंतराव नाईक के बाद ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने कार्यकाल पूरा किया। वह राज्य के 59 वर्षों के इतिहास में पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने पूर्ण कार्यकाल के बाद सत्ता में दोबारा वापसी की। उनकी नियुक्ति ने नितिन गडकरी और एकनाथ खडसे जैसे वरिष्ठ नेताओं को पीछे छोड़ते हुए उन्हें बीजेपी के सबसे मजबूत चेहरे के रूप में स्थापित किया।

फडणवीस का परिचय

देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस का जन्म 22 जुलाई 1970 को हुआ। उन्होंने कानून में ग्रेजुएशन किया और जर्मनी के डाहलम स्कूल ऑफ एजुकेशन से बिजनेस और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा प्राप्त किया। 2006 में अमृता फडणवीस से शादी के बाद वह एक बेटी के पिता बने। वह 44 वर्ष की उम्र में महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।

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आरएसएस से राजनीति तक का सफर

फडणवीस की राजनीतिक यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरू हुई। 1992 में उन्होंने नागपुर (Maharashtra) के राम नगर वार्ड से नगर निगम का चुनाव जीता और 22 वर्ष की उम्र में सबसे युवा पार्षद बने। 1997 में वह नागपुर नगर निगम के सबसे युवा मेयर और भारत के दूसरे सबसे युवा मेयर बने।

प्रमुख जिम्मेदारियां और उपलब्धियां

1999 से 2004 तक वह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे। 2001 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवायएम) का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। 2010 में वह बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव बने और 2013 में पार्टी के राज्य अध्यक्ष चुने गए। 2019 में वह नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से फिर चुने गए। हालांकि, एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ उनका गठबंधन विफल रहा और मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बाद में एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के साथ बीजेपी की गठबंधन सरकार में अहम भूमिका निभाई।

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