PM Modi: त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में एक ऐतिहासिक पल तब दर्ज हुआ, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां बसे प्रवासी भारतीयों (NRIs) को संबोधित किया। 26 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा ने वहां रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों को भावुक कर दिया।
“हम दो देश नहीं, एक परिवार हैं” – PM मोदी
अपने भाषण की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “हम सिर्फ दो देश नहीं हैं, हम एक परिवार हैं। उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष और योगदान को याद किया और कहा कि उनके वंशजों ने त्रिनिदाद में केवल जीवन नहीं बनाया, बल्कि इस देश को आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है।
“सनातन संस्कृति के संदेशवाहक हैं आप”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उद्बोधन में प्रवासी भारतीयों की संस्कृति और मूल्यों से जुड़ी गहराई को रेखांकित करते हुए कहा “आपके पूर्वज गंगा-यमुना छोड़कर आए थे, लेकिन रामायण को अपने हृदय में संजोकर रखा। वे सिर्फ प्रवासी नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के संदेशवाहक थे।” प्रधानमंत्री के इस बयान पर सभागार तालियों से गूंज उठा।
‘गिरमिटिया’ नहीं, संघर्ष की विरासत के उत्तराधिकारी
मोदी ने आगे कहा “आप गिरमिटिया मजदूरों की संतान नहीं, बल्कि उनके संघर्ष, संस्कार और सेवा भावना की विरासत हैं।” उन्होंने इसे ‘संघर्ष से संस्कार’ की यात्रा बताया, जो अब सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही है।
भारत की नई छवि का परिचय
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भारत की आधुनिक और आत्मनिर्भर पहचान को भी दुनिया के सामने रखा “जिस भारत से आपके पूर्वज कठिनाइयों में निकले थे, वह भारत आज वैश्विक नेतृत्व कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि आज का भारत, स्टार्टअप और तकनीक में अग्रणी है सेवा और विज्ञान में नई ऊंचाइयों पर है ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनकर दुनिया को समाधान दे रहा है
साझा की 25 साल पुरानी स्मृति
प्रधानमंत्री ने त्रिनिदाद से जुड़ी अपनी 25 साल पुरानी यात्रा की याद भी साझा की और बताया कि “मैं 25 साल पहले त्रिनिदाद आया था, लेकिन इस बार अपनापन, ऊर्जा और संस्कृति से जुड़ाव और गहरा महसूस हो रहा है।”
पारंपरिक अंदाज में किया स्वागत
कार्यक्रम स्थल पर माहौल बिल्कुल भारत की पारंपरिक संस्कृति में रंगा हुआ था। बता दें कि चौताल, भितक गीत और ढोलक की धुनें, भोजपुरी और अवधी में गीतों का प्रस्तुतीकरण महिलाएं साड़ी और बिंदी, पुरुष कुर्ता-पायजामा में सजे थे सड़कें ‘मोदी-मोदी’ के नारों से गूंज रही थीं पूरा दृश्य लखनऊ, पटना या बनारस के मेले जैसा प्रतीत हो रहा था।
भारतीय मूल की विरासत जीवंत
त्रिनिदाद और टोबैगो की कुल जनसंख्या लगभग 13 लाख है, जिसमें से करीब 45% लोग भारतीय मूल के हैं। इनके पूर्वज मुख्यत उत्तर प्रदेश और बिहार के छपरा, आरा, बलिया, गोपालगंज, बनारस और आजमगढ़ जैसे जिलों से आए थे।
यहां की संस्कृति में आज भी
यहां की संस्कृति में आज भी हिंदी, भोजपुरी और अवधी जीवित हैं। रामायण, नवरात्रि, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। कई सड़कों के नाम भारतीय शहरों पर रखे गए हैं
राजनीतिक से अधिक सांस्कृतिक यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल राजनयिक दौरा नहीं रही, बल्कि यह संस्कृति, पहचान और भावनात्मक जुड़ाव का उत्सवबन गई। इसने भारतीय मूल के लोगों में भारत की स्मृति, जड़ों और गौरव को फिर से जीवित कर दिया।
यह हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखी गयी है।
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