बिहार सरकार ने जब से जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पेश की है, तब से सियासत गर्मा गई है. बता दें, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत I.N.D.I.A गठबंधन ने पूरे देश में जनगणना की मांग कर रहा है. जानकारी के मुताबिक़, इसी मुद्दे को लेकर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को घेर रहा है. जातिगत जनगणना पर हुई इस राजनीति से यूपी भी अलग नहीं है. बता दें, उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस, जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए, लगातार अपनी रणनीतियां बना रही है. जानकारी के मुताबिक़, अगर सियासी जानकारों की माने तो आने वाले साल 2024 के चुनाव में ये मुद्दा भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है. बता दें, अब भाजपा ने भी इस मुद्दे का काट खोजना शुरू कर दिया है.
भाजपा के पास है सियासी हथियार
उत्तर प्रदेश में जब जातिगत जनगणना कि मांग उठाई गई तब, इस मुद्दे के काट के तौर पर BJP ‘गरीब कल्याण’ के एजेंडे को रफ्तार देते हुए आगे बढ़ाने की तैयारी तैयारियों में है. इसके अलावा साल 2024 के जनवरी महीने में ‘राम मंदिर’ के भव्य उद्घाटन के साथ ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ और ‘हिंदुत्व’ के मुद्दे पर भी बीजेपी आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है. बिहार में हुए जनगणना के प्रयोग ने वहां के राजनीतिक परिदृश्य को बदला है. बता दें, इस रिपोर्ट में पिछड़ों की बढ़ती संख्या सीधे तौर पर वहां के सियासी दलों को फायदा पहुंचा सकती है.
कई दल कर रही जनगणना की मांग
उत्तर प्रदेश कि अगर बात की जाए तो सपा मुखर होकर जाति जनगणना की बात करती रही है. समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इसको जगह दी है. वहीँ दूसरी तरफ बसपा प्रमुख ‘मायावती’ ने भी इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस भी पूरे देश में जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग कर रही है.
बीजेपी के सहयोगी दल भी कर रहे हैं मांग
जानकारी के मुताबिक़, जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी के सहयोगी दल भी विपक्ष के साथ सुर से सुर मिलाते हुए नज़र आ रहे हैं. बता दें, निषाद पार्टी के संजय निषाद, ओपी राजभर और अनुप्रिया पटेल ने भी जनगणना कराए जाने की मांग की है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में यह मुद्दा सियासी का पारा बढ़ा सकता है. बता दें, भाजपा इस मुद्दे को लेकर गहन सोच-विचार और सुझबुझ से कदम बढ़ा रही है.
गरीब कल्याण पर भाजपा का फोकस
जातिगत जनगणना के मुद्दे की काट निकलने के लिए भाजपा आने वाले दिनों में ‘गरीब कल्याण’ के एजेंडे पर ज्यादा काम करती हुई नजर आ सकती है. बता दें, सरकार इसके माध्यम से दलितों और पिछड़ों में अपनी पैठ को और मजबूत करेगी. साथ ही भाजपा बड़े स्तर पर राज्य में दलित सम्मेलन करवाने की तैयारी भी कर रही है.
हिंदुत्व की भावना का सहारा
भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर ‘हिंदुत्व’ की भावना का सहारा लेगी और पिछड़ों, दलित जातियों को हिंदुत्व के सूत्र में बांधने का काम करेगी. ‘राम मंदिर’ के भव्य निर्माण और उद्धाटन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. BJP पूरी गंभीरता के साथ जातिगत जनगणना के मुद्दे की काट के लिए रणनीतियां बना रही हैं. अब देखना ये है कि, भाजपा अपनी योजना में कितनी सफलता हासिल करती है.