Bulldozer Action : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई करते हुए इसे कानून का उल्लंघन बताया है और कहा है कि आरोपी या दोषी ठहराए जाने के बाद भी किसी का घर तोड़ना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के अनुसार काम होना चाहिए और बुलडोजर एक्शन में पक्षपात नहीं होना चाहिए। गलत तरीके से घर तोड़े जाने पर प्रभावित लोगों को मुआवजा मिलना चाहिए।
अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि अगर एक व्यक्ति आरोपी है तो पूरे परिवार को क्यों सजा दी जाए? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी का घर तोड़ना केवल आरोपी को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को सजा देने जैसा है। मनमाने तरीके से इस तरह की कार्यवाही करना बर्दाश्त नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि घर किसी का सपना होता है और वह व्यक्ति की अंतिम सुरक्षा होती है।
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एससी ने आगे कहा कि किसी के घर को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नहीं गिराया (Bulldozer Action) जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि बुलडोजर एक्शन के लिए कम से कम 15 दिन का नोटिस देना आवश्यक होगा। यह नोटिस विधिवत तरीके से निर्माण स्थल पर चस्पा होना चाहिए और इसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड करना अनिवार्य होगा।
इसके लिए अगले तीन महीने में पोर्टल बनाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे नोटिस और जवाब की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो सके। अंत में कोर्ट ने निर्णय दिया कि हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि बुलडोजर एक्शन के लिए उचित नोटिस दिया जाए और प्रक्रिया का पालन सही तरीके से हो।