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UP Bypolls : उपचुनाव में ये सीट बनी शिवपाल और स्वतंत्र देव के शाख का सवाल, बीजेपी-सपा से ज्यादा ये शिवपाल बनाम स्वतंत्र देव की लड़ाई

by | Nov 16, 2024 | अन्य, अपना यूपी, अयोध्या, आपका जिला, मुख्य खबरें, राजनीति

UP Bypolls : उत्तर प्रदेश की कटेहरी विधानसभा सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। यह चुनाव केवल सीट जीतने की लड़ाई नहीं, बल्कि सपा और बीजेपी के बीच रणनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी बन गया है। सपा ने इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए शिवपाल यादव को प्रभारी बनाया है।

शिवपाल संगठन और बूथ लेवल की राजनीति में माहिर माने जाते हैं, कटेहरी में लगातार रैलियां और बैठकें कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है, बल्कि विपक्षी गठबंधन के मजबूत आधार को चुनौती देना भी है। कटेहरी सीट पर लालजी वर्मा का प्रभाव महत्वपूर्ण है। 2022 में सपा की टिकट पर विधायक चुने गए लालजी वर्मा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हुई।

इस बार सपा ने उनके परिवार से शोभावती वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। शिवपाल की जिम्मेदारी इस सीट पर कार्यकर्ताओं के असंतोष और संभावित बगावत को रोकते हुए साइकिल को दोबारा दौड़ाने की है। बीजेपी ने इस सीट को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तक, सभी ने कटेहरी में सक्रिय भूमिका निभाई है।

1991 के बाद इस सीट पर कमल नहीं खिला है, और बीजेपी इसे बदलने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। स्वतंत्र देव सिंह का शिवपाल यादव के मुकाबले इस सीट पर प्रभारी बनना, दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत और राजनीतिक टकराव को और दिलचस्प बना देता है। यह मुकाबला सपा बनाम बीजेपी से ज्यादा शिवपाल बनाम स्वतंत्र देव की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है।

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कटेहरी सीट का इतिहास बताता है कि यहां बीजेपी और सपा ने सीमित सफलताएं हासिल की हैं, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) लंबे समय तक प्रभावी रही है।

  • 1991: बीजेपी ने जीत दर्ज की।
  • 1993-2007: बसपा का दबदबा।
  • 2012: सपा ने बहुमत हासिल किया।
  • 2017: बसपा की वापसी।
  • 2022: लालजी वर्मा ने सपा की जीत सुनिश्चित की।

सपा के लिए शिवपाल यादव जैसे अनुभवी नेता की मौजूदगी यह सुनिश्चित करने के लिए है कि स्थानीय कार्यकर्ता और मतदाता नाराज न हों। वहीं, बीजेपी ने कटेहरी को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या क्षेत्र की सीटों से जोड़ते हुए इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है। शिवपाल के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक कौशल का परीक्षण है। कटेहरी में छोटी-छोटी गलतियां भी चुनावी गणित बिगाड़ सकती हैं।

बूथ लेवल पर पकड़ और कार्यकर्ताओं का सक्रिय सहयोग उनकी प्राथमिकता है। कटेहरी उपचुनाव सपा और बीजेपी के लिए केवल एक सीट की लड़ाई नहीं है। यह शिवपाल यादव और स्वतंत्र देव सिंह जैसे नेताओं की राजनीतिक प्रतिष्ठा और रणनीतिक दक्षता का परीक्षण है। अंतिम चरण के प्रचार में दोनों पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही हैं, और मतदाताओं का अंतिम फैसला ही तय करेगा कि कटेहरी में किसकी रणनीति सफल होती है।

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