Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेला, जो अपनी आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, न केवल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया, बल्कि छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के लिए भी एक बड़ा आर्थिक अवसर प्रदान किया। 45 दिनों तक चलने वाले इस महासमागम ने कई छोटे व्यवसायों को फलने-फूलने का मौका दिया। मेला क्षेत्र के विभिन्न घाटों, रास्तों और छोटे मार्गों पर रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजाई थीं, जहां श्रद्धालु पूजा सामग्री, मूर्तियां, धागे, सिंदूर, चूड़ियां, साहित्य और अन्य वस्तुएं खरीदते थे। इसके अलावा, दुकानदारों ने सब्जियों, गोबर के कंडे, लकड़ी, बर्तन, कपड़े, कंबल आदि की भी बिक्री की, जिससे उन्हें अच्छा लाभ हुआ। इन दुकानों का फैलाव 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में था, जिससे मेले का व्यापारी नेटवर्क और भी विस्तृत हो गया।
प्रयागराज के मनशू की कहानी
प्रयागराज में रहने वाले मनशू ने अपने परिवार के साथ सेक्टर 19 के पास ‘फास्ट फूड’ की दुकान लगाई थी, जहां उन्होंने चाय और मैगी बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया। मनशू ने बताया कि उन्होंने कुंभ मेला क्षेत्र में बाइक टैक्सी की भी सेवा शुरू की थी, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हुई। उनकी चाय की कीमत 10 रुपये प्रति कप और मैगी नूडल्स की प्लेट 50 रुपये थी। यह व्यवसाय उन्हें न केवल आय का स्रोत बना, बल्कि कुंभ मेला के दौरान ग्राहकों की बढ़ी हुई संख्या ने उनके व्यवसाय को भी गति दी।
खिलौने की दुकान लगाने वाले वीरेंद्र बिंद की सफलता
सहसों से आकर कुंभ मेला क्षेत्र में खिलौने की दुकान लगाने वाले वीरेंद्र बिंद ने भी बिक्री में जबरदस्त सफलता पाई। उन्होंने बताया, “मेले में आने वाले बच्चों के लिए खिलौनों की भारी मांग थी। मैंने 60 रुपये में एक सॉफ्ट टाय बेचा। शुरुआत में मैंने इसकी कीमत 70 रुपये रखी थी, लेकिन ग्राहक के राजी होने पर हर बिक्री पर मुझे 10 रुपये का अतिरिक्त लाभ हुआ।”
रामपाल केवट की फोटोग्राफी सेवा
बुलंदशहर से आए रामपाल केवट ने मेले में फोटोग्राफी का व्यवसाय शुरू किया था। रामपाल एक नाविक परिवार से आते हैं, लेकिन महाकुंभ से पहले उन्होंने फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली और कैमरा खरीदा। रामपाल ने कहा, “मैं फोटोग्राफी करता हूं और साथ में प्रिंट निकालने वाला प्रिंटर लेकर चलता हूं। मेले के दौरान मैंने प्रतिदिन औसतन 5,000-6,000 रुपये की कमाई की।” प्रति तस्वीर वह 50 रुपये लेते थे, और इन पैसों को वह रोज़ अपने परिवार को भेज देते थे।
अभिषेक की रंग-बिरंगे धागों की दुकान
प्रतापगढ़ जिले से आए अभिषेक ने भी महाकुंभ मेले (Mahakumbh 2025) में धागों की दुकान लगाई थी। वह पहले एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए ड्राइवर का काम करते थे, लेकिन कुंभ मेला में उन्होंने नया व्यवसाय शुरू किया। अभिषेक ने बताया, “मैं एक धागा 10 रुपये में बेच रहा हूं, चाहे वह किसी भी रंग का हो। मैंने इन्हें थोक में बनारस से खरीदा था, जहां इसकी लागत 3 रुपये प्रति धागा थी।”
व्यापारियों के लिए एक सुनहरा अवसर
महाकुंभ मेला (Mahakumbh 2025) न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए रोजगार और आय के नए अवसरों का स्रोत भी बना। छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के लिए यह आयोजन न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक रहा, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय को फैलाने और बढ़ाने का भी एक प्लेटफॉर्म मिला। इस दौरान हजारों छोटे-छोटे व्यवसायियों ने अपनी मेहनत और कड़ी संघर्ष से अच्छा लाभ कमाया।
गौरतलब है कि महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को समाप्त हुआ, जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। इस विशाल महासमागम ने न केवल श्रद्धा और विश्वास को प्रगाढ़ किया, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की।