लखनऊ। बस्ती जिले में पुलिस बल की ढिलाई बढ़ती अपराध दर के कारण जांच के दायरे में आ गई है। क्षेत्र में चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके कारण पुलिस अधीक्षक (एसपी) और महानिरीक्षक (आईजी) को व्यक्तिगत रूप से ग्राउंड जीरो पर पहुंच कर स्थिति की जांच करनी पड़ी। उनकी देर रात की ड्यूटी के निरीक्षण के दौरान, पुलिस महकमे के भीतर कई कमियाँ उजागर हुईं, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल कार्रवाई की गई। उन्होंने तत्काल एसपी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। मामले में दो दरोगा समेत कई सिपाहियों को फौरन लाइन हाजिर कर दिया गया। इस बड़ी कार्रवाई से पुलिस महकमे में अफरा तफरी सी मच गई।
आधी रात किया गया निरीक्षण
रात के अंधेरे में एसपी और आईजी पुलिसिंग के ग्राउंड जीरो पर उतरे, जहां दरोगा और जवान की तैनाती थी। जब उन्होंने ड्यूटी पर अधिकारियों को मौजूद नहीं पाया तो उन्हें यह देखकर बड़ी हैरानी हुई कि कई कांस्टेबल और हवलदार अपने निर्धारित तैनाती वाली जगहों से गायब थे। आईजी ने जब उन्हें ड्यूटी पर नहीं पाया तो उन्होंने इस लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई।
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शीघ्र जवाबदेही के लिए आदेश
इस जांच के बाद आईजी ने तत्काल कार्रवाई के स्पष्ट आदेश देने में कोई समय बर्बाद नहीं किया, एसपी ने गलती करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए अपने अधिकारियों को तेजी से सक्रिय किया। यह ध्यान देने योग्य है कि अपराध की रोकथाम पुलिस विभाग के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रात में सतर्कता क्यों है जरुरी
रात का समय वह समय होता है जब आपराधिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं, जिनमें हत्या, डकैती, डकैती, चोरी और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे अपराध शामिल होते हैं। नतीजतन, जब अपराध दर बढ़ती है तो पुलिस बल पर जनता का भरोसा सवालों के घेरे में आ जाता है। उस विश्वास को बहाल करने और आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने के लिए, पुलिस द्वारा रात के समय सक्रिय गश्त महत्वपूर्ण है। डीजीपी के निर्देशों का सख्ती से पालन कराने के लिए ही बस्ती में आईजी देर रात सड़कों पर उतरे।
सभी जिलों में रात्रि गश्त का विस्तार
स्थिति की तात्कालिकता को समझते हुए, ग्राउंड जीरो पर डीजीपी ने तीन जिलों में रात के समय पुलिस गश्त बढ़ाने के लिए विशेष आदेश जारी किए थे। इस निर्देश का उद्देश्य उन घंटों के दौरान पुलिस की मौजूदगी को मजबूत करना है जब आपराधिक तत्व सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। ड्यूटी के निरीक्षण के दौरान दो उपनिरीक्षकों और कई सिपाहियों की लापरवाही उजागर हुई। ये घटना पुलिस की लापरवाही पर सवालिया निशान खड़े करती है।