लखनऊ। चूहे हर जगह आपको दिखाई दे जाएंगे, हमारे घरों में, दफ्तरों में पार्कों में और गलियों में, चूहों की भरमार है। घरों में चूहे को पकड़ने के लिए लोग जाल का इस्तेमाल करते हैं, चूहे को मारने वाली दवाइयों का भी इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि चूहों को पकड़ने के लिए लाखों रूपए खर्च होंगे ? आप यकीन नहीं करेंगे कि इतने छोटे काम के लिए लाखों रूपए की भला क्या जरूरत होगी। लेकिन हाल ही में रेलवे मंडल लखनऊ ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। रेलवे मंडल लखनऊ ने चूहों को पकड़ने के लिए 69 लाख रूपए खर्च कर डाले, लेकिन ये खर्चा भी चर्चा की वजह नहीं है। वजह है घोटाला, जो चूहों को पकड़ने के नाम पर हुआ है।
69 लाख खर्च कर पकड़े सिर्फ 168 चूहे
पूरे देश का ध्यान खींचने और आंखें खोल देने वाला यह मामला उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन से जुड़ा है। इस क्षेत्र में रेलवे परिचालन के प्रबंधन का काम करने वाले इस डिवीजन ने चूहों को पकड़ने के प्रयासों में रूप से कुल 69 लाख रुपये खर्च कर डाले। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह रकम केवल 168 चूहों को पकड़ने में खर्च की गई थी। इसका खुलासा एक RTI में हुआ है। जिसके बाद हर कोई ये जानना चाह रहा है कि लखनऊ मंडल रेलवे के अधिकारियों ने ये कारनामा किया कैसे ?
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घोटाले का खुलासा करने वाली RTI किसने डाली ?
यह खुलासा नीमच के एक आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से सामने आया। गौड़ ने चूहों को पकड़ने में रेलवे अधिकारियों द्वारा किए गए खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी और लखनऊ डिवीजन द्वारा दिए गए जवाब ने कई लोगों को हैरान करके रखा दिया, जानकारी मिली कि जो 69 लाख रूपए की रकम चूहों को स्टेशन परिसर से पकड़ने के लिए दी गई थी उसमें 168 चूहों को पकड़ा गया है। अब ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि विभाग इस घोटाले पर कैसे कार्रवाई करता है।