Rajasthan School Building Collapses: राजस्थान के झालावाड़ जिले से शुक्रवार सुबह एक बेहद दुखद घटना सामने आई। जिले के मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी गांव स्थित एक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अचानक स्कूल की छत गिर गई। इस दर्दनाक हादसे में चार मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 17 से अधिक बच्चे घायल हो गए हैं।
कक्षा में मौजूद बच्चों पर गिरा मलबा, मचा कोहराम
प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासनिक जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब सभी बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। अचानक छत गिरने से पूरा मलबा छात्रों पर गिर पड़ा। घटना की सूचना मिलते ही शिक्षकों, ग्रामीणों और प्रशासन की टीम ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने पुष्टि की कि पीपलोदी स्कूल में हुए इस हादसे में अब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, घायलों को जिला अस्पताल और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया है।
बचाव अभियान जारी, मौके पर मौजूद प्रशासनिक अमला
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस बल और राहत टीम मौके पर पहुंची। जेसीबी मशीनों और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से मलबे को हटाने का कार्य जारी है। हादसे के पीछे प्राथमिक कारण स्कूल भवन की जर्जर स्थिति मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया गहरा शोक
इस हृदय विदारक घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) के माध्यम से संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने लिखा: “झालावाड़ के एक स्कूल में हुई दुर्घटना बेहद दुखद है। मेरी संवेदनाएँ प्रभावित परिवारों के साथ हैं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूँ। प्रशासन पूरी मदद कर रहा है।”
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दिए इलाज के निर्देश
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी घायलों के समुचित इलाज के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा: “पीपलोदी स्कूल की छत गिरने से हुई दुर्घटना अत्यंत पीड़ादायक है। सभी घायलों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है।”
विपक्ष का बयान, पूर्व सीएम गहलोत ने भी जताया दुख
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस हादसे पर दुख जताया। उन्होंने लिखा: “झालावाड़ के मनोहरथाना में सरकारी स्कूल की इमारत गिरने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जनहानि कम हो और घायल शीघ्र स्वस्थ हों।”
प्राथमिक जांच, स्कूल भवन की हालत जर्जर थी
स्थानीय लोगों के अनुसार, स्कूल की इमारत काफी पुरानी और जर्जर हालत में थी, जिसकी शिकायत पहले भी की गई थी, लेकिन समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब प्रशासन ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।
प्रशासनिक लापरवाही
झालावाड़ स्कूल हादसा न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों की आधारभूत संरचना को लेकर गंभीरता जरूरी है। समय रहते स्कूल भवनों की मरम्मत और निरीक्षण जरूरी है, ताकि ऐसे हादसों को टाला जा सके।
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