Noida News: नोएडा स्थित राज्य कर विभाग (State Tax Department) में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत एक वरिष्ठ IAS अधिकारी पर कई महिला कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। यह अधिकारी पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किए गए थे, लेकिन अब उन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए महिला कर्मचारियों का मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण करने के आरोप सामने आए हैं। इस शिकायत ने न केवल विभाग में, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मचा दिया है।
चार महीने से जारी उत्पीड़न और धमकियां
मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायत पत्र में महिला अधिकारियों ने लिखा है कि पिछले चार महीनों से यह अधिकारी उनके साथ “गुलामों” जैसा व्यवहार कर रहे हैं। आरोप है कि वे अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कहते हैं—“मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हारी नौकरी खा जाऊंगा और हाथ में कटोरा देकर बाहर कर दूंगा।” पत्र में यह भी उल्लेख है कि अधिकारी उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर घंटों खड़ा रखते हैं, घूरते रहते हैं, देर रात फोन और वीडियो कॉल करते हैं और गुप्त रूप से उनकी रिकॉर्डिंग भी करते हैं।
महिला अधिकारियों का आरोप है कि वह उन्हें छुप-छुपकर देखते हैं और वीडियो बनाते हैं। जो महिला इन हरकतों का विरोध करती है, उसे झूठे मामलों में फंसाने, निलंबित कराने, सूचना लीक करने या कार्य में लापरवाही का आरोप लगाकर दबाव डालने की कोशिश की जाती है। यह रवैया न केवल मानसिक उत्पीड़न है, बल्कि कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा से जुड़े कानूनों का भी सीधा उल्लंघन है।
सीएम योगी को भेजा गया पत्र और जांच की मांग
महिला कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे विस्तृत पत्र में लिखा है कि यह कदम उन्होंने गहरे दुख और मजबूरी में उठाया है। उनका कहना है कि एक ओर राज्य सरकार “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों के जरिए महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी दफ्तरों में ही महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है।

5 अगस्त को शासन को प्राप्त इस शिकायत पत्र में मांग की गई है कि मामले की गोपनीय और निष्पक्ष जांच किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी या राज्य महिला आयोग से कराई जाए, ताकि शोषण, उत्पीड़न और भ्रष्टाचार की सभी परतें उजागर हो सकें। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस शिकायत पत्र की प्राप्ति की पुष्टि की है और इसके आधार पर जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा की गंभीर चुनौती
यह मामला सिर्फ एक अधिकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी दफ्तरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल खड़े करता है। यौन उत्पीड़न से बचाव, रोकथाम और निवारण अधिनियम, 2013 (POSH Act) के अनुसार हर सरकारी या निजी संस्था पर यह कानूनी जिम्मेदारी होती है कि वह महिलाओं के लिए सुरक्षित, सम्मानजनक और उत्पीड़न-मुक्त कार्यस्थल सुनिश्चित करे।
अगर सरकारी कार्यालयों में ही ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, तो यह न केवल सरकारी तंत्र पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि निजी क्षेत्र के लिए भी गलत और चिंताजनक संदेश देता है। कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि यह कर्मचारियों के विश्वास और संस्था की प्रतिष्ठा से जुड़ा अत्यंत गंभीर मुद्दा है।
दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई अनिवार्य
अगर आरोप साबित होते हैं, तो इस IAS अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई—जैसे तत्काल निलंबन, विभागीय कार्यवाही और कानूनी कार्रवाई—की जानी चाहिए। यह आवश्यक है कि स्पष्ट संदेश दिया जाए कि किसी भी पद या शक्ति के आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और न्याय सुनिश्चित करना न केवल एक कानूनी दायित्व है, बल्कि यह समाज और प्रशासन के भरोसे की बुनियाद भी है। जब तक हर महिला अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस नहीं करेगी, तब तक वास्तविक सशक्तिकरण संभव नहीं है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई ही वह कदम होगा, जो सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में महिला सुरक्षा के प्रति विश्वास बहाल कर सकेगा।
हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखित