Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। इस आयोजन को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर करने पर जोर दिया जा रहा है। सबसे बड़ी चुनौती मेला क्षेत्र (Mahakumbh 2025) में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है जिसके लिए अस्थायी 1,249 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन नेटवर्क का निर्माण किया जा रहा है।
जल आपूर्ति के लिए बड़ी परियोजना
- उत्तर प्रदेश जल निगम (शहरी) इस परियोजना पर 40 करोड़ रुपये की लागत से काम कर रहा है।
- 30 नवंबर 2024 तक पाइपलाइन नेटवर्क का काम पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।
- लगभग 56,000 जल कनेक्शन लगाए जाएंगे, जो अखाड़ा शिविरों, प्रशासनिक टेंटों और अन्य सुविधाओं को पानी पहुंचाएंगे।
- पानी की आपूर्ति के लिए 85 ट्यूबवेल्स और 30 जनरेटर का उपयोग किया जाएगा।
मेला क्षेत्र: पहले से बड़ा और भव्य
- मेला क्षेत्र इस बार 4,000 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें 25 सेक्टर होंगे।
- यह आयोजन 2012 के महाकुंभ से तीन गुना बड़ा होगा।
- मेला क्षेत्र परेड ग्राउंड, संगम, फाफामऊ, अरिल और झूंसी क्षेत्रों तक विस्तारित किया जाएगा।
आयोजन का महत्व और अनुमानित आंकड़े
- महाकुंभ का आयोजन 14 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।
- इसमें करीब 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है।
- आयोजन का बजट 6,382 करोड़ रुपये है, जिसमें से 5,600 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं।
- तुलना में, 2012 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान हुए कुंभ का बजट मात्र 1,152 करोड़ रुपये था, जिसमें 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे।
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महाकुंभ 2025: सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह प्रयागराज और उत्तर प्रदेश की संस्कृति, अर्थव्यवस्था, और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। इस भव्य आयोजन से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे, जिससे राज्य की छवि और पर्यटन को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी।
महाकुंभ 2025 न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा होगी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक भी बनेगा।