राजनीति

अपना यूपी

क्राइम

बड़ी खबर

स्पोर्ट्स

वेब स्टोरीज

खबर

Mahakumbh Stampede : चाचा की हुई थी ड्यूटी के दौरान मौत, दरोगा के मौत पर भतीजे ने खड़ा किया सवाल

by | Feb 3, 2025 | अपना यूपी, आपका जिला, ट्रेंडिंग, प्रयागराज

Mahakumbh Stampede : महाकुंभ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेहतर व्यवस्था किए जाने का दावा किया गया था, लेकिन मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ ने इस आयोजन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भगदड़ में हुई मौतों को लेकर प्रशासन पर आंकड़े छुपाने के आरोप भी लग रहे हैं। इस घटना में गाजीपुर के रहने वाले एक दरोगा की भी जान चली गई, हालांकि पुलिस प्रशासन इसे बीमारी से हुई मौत बता रहा है।

गाजीपुर जिले के बसुका गांव के निवासी दरोगा अंजनी राय महाकुंभ में झूसी थाने में तैनात थे। भगदड़ के दौरान उनकी भी मृत्यु हो गई, लेकिन प्रशासन इस तथ्य को स्वीकारने को तैयार नहीं है। प्रशासन का कहना है कि तबीयत बिगड़ने के कारण उनकी मौत हुई है। वहीं, उनके परिवार ने पुलिस और सरकार पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। दरोगा अंजनी राय के भतीजे इंद्र भूषण राय ने कहा कि घटना को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार या पुलिस विभाग की ओर से कोई भी परिवार का हालचाल लेने नहीं आया है।

ये भी पढ़ें : Amrit Snan : महाकुंभ का आखिरी अमृत स्नान, संगम घाट पर अखाड़ों के साधु-संतों ने लगाई डुबकी, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

ये भी देखें : Swati Maliwal का Kejriwal पर तंज, “उन्होंने अपने बयान से 2 राज्यों में लड़ाई करवाने की कोशिश की है”

इंद्र भूषण राय का सवाल है कि यदि उनके चाचा की तबीयत पहले से खराब थी, तो फिर उन्हें महाकुंभ में ड्यूटी पर क्यों तैनात किया गया? पुलिस ने स्वीकार किया कि उनकी ड्यूटी मौनी अमावस्या की रात भगदड़ वाली जगह पर थी, जहां भीड़ के अत्यधिक दबाव के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी और उनकी मृत्यु हो गई। बावजूद इसके, पुलिस प्रशासन मौत के असली कारण को छुपाने का प्रयास कर रहा है।

परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस रिकॉर्ड में 9:12 बजे दर्ज किया गया कि ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन प्रशासन ने यह नहीं बताया कि उन्हें किस अस्पताल में भर्ती किया गया, किस डॉक्टर ने इलाज किया, या कौन सी दवा दी गई। यहां तक कि परिवार को दवा की पर्ची तक नहीं दिखाई गई, जिससे प्रशासन की बातों पर संदेह पैदा हो रहा है।

इंद्र भूषण ने बताया कि जब उनके चाचा की तबीयत खराब हुई, तब उन्होंने इलाहाबाद में रहने वाले अपने भतीजे को फोन कर मदद मांगी थी। लेकिन जब तक उनका भतीजा वहां पहुंचा, तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। शव जहां रखा गया था, वहां पुलिसकर्मी भी मौजूद थे, लेकिन किसी को अंदाजा तक नहीं था कि दरोगा अंजनी राय की जान जा चुकी है।

परिवार ने बहराइच के एडिशनल एसपी के बयान पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह ढाई सौ किलोमीटर दूर बैठे हुए यह कैसे तय कर सकते हैं कि मौत बीमारी से हुई है? यदि तबीयत खराब थी, तो ड्यूटी पर क्यों तैनात किया गया? परिवार का कहना है कि अगर सही समय पर इलाज मिला होता, तो अंजनी राय की जान बच सकती थी।

इंद्र भूषण राय का कहना है कि उनके चाचा की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है, इसमें किसी भी तरह का संदेह नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल किया कि यदि महाकुंभ को डिजिटल मेला बताया जा रहा है, तो यह स्पष्ट किया जाए कि अंजनी राय की ड्यूटी किस स्थान पर लगी थी और उनका इलाज कहां हुआ। यहां तक कि जिस अस्पताल में इलाज की बात हो रही है, वहां कोई डॉक्टर भी मौजूद नहीं था।

परिवार ने न्याय के लिए हाईकोर्ट जाने की बात कही है। यदि उचित न्याय नहीं मिला, तो वे मेला अधिकारी और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ पीआईएल दायर करेंगे। क्योंकि उनकी मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई है, इसके बावजूद उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया गया और न ही किसी सरकारी प्रतिनिधि ने अब तक परिवार से संपर्क किया है।

इंद्र भूषण राय ने भगदड़ से हुई मौतों को लेकर भी बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जब वे अपने चाचा के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे, तो वहां 10-15 शव पहले से पड़े हुए थे। इसके अलावा, एक अन्य कमरे में 40-50 और शव रखे हुए थे। जबकि सरकार केवल 30 मौतों का आंकड़ा बता रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी शव किसके थे और सरकार उन्हें गिनती में क्यों शामिल नहीं कर रही है?

अपना यूपी

क्राइम

आपका जिला

वीडियो

ट्रेंडिंग

बड़ी खबर