Chandrashekhar Azad : उत्तर प्रदेश के नगीना से आजाद समाज पार्टी के सांसद, चंद्रशेखर आजाद, ने शनिवार को लोकसभा में संविधान पर हो रही चर्चा में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और सरकार के आलोचकों को जेल में डालने के रवैये की कड़ी आलोचना की। आजाद का कहना था कि राजनीतिक विरोध के कारण समाजवादी नेता आजम खान को जेल में रखा गया है।
अपनी बात रखते हुए कई अहम मुद्दों को उठाए
चंद्रशेखर आजाद ने संविधान के बारे में अपनी बात रखते हुए कई अहम मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा, “सरकार आलोचकों को चुप कराती है और उन्हें जेल में डाल देती है, जैसे कि आजम खान को उनके राजनीतिक विरोध के कारण जेल में रखा गया।” उनका यह बयान केंद्र सरकार की आलोचना करने वाले नेताओं पर हो रही कार्रवाई की ओर इशारा था।
लोकसभा में भाषण की अवधि को लेकर भी चंद्रशेखर आजाद ने सभापति से खुलकर बहस की। सभी स्वतंत्र सांसदों को चार मिनट का समय दिया गया था, लेकिन जब उनका समय समाप्त हुआ, तो सभापति ने उन्हें भाषण खत्म करने को कहा। इस पर आजाद नाराज हो गए और उन्होंने सख्त लहजे में सभापति से पूछा, “क्या यहां भी दलितों को बोलने का मौका नहीं मिलेगा?” उन्होंने इस बात को भेदभाव करार दिया और कहा कि अगर सभी को चार मिनट का समय मिल रहा है, तो दलित सांसदों को भी उतना ही समय दिया जाना चाहिए।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा
चंद्रशेखर आजाद ने यह भी कहा, “मैं अपनी पार्टी से चुनाव जीतकर यहां आया हूं, किसी की दया पर नहीं।” उनकी इस बात का उद्देश्य यह था कि उन्होंने अपनी मेहनत से चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया है, न कि किसी के एहसान पर। इसके बाद सभापति ने उन्हें एक और मिनट बोलने का समय दिया।
संविधान पर बोलते हुए आजाद ने भारतीय संविधान के गौरवशाली इतिहास पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम आज संविधान की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन संविधान में ‘इंडिया’ और ‘भारत’ के संदर्भ में लिखे गए शब्दों पर गंभीर सवाल उठाए। आजाद ने कहा, ‘संविधान के भाग-वन में लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत’, लेकिन क्या कारण है कि हमारे नेता संविधान की चर्चा करते हुए ‘हिंदुस्तान’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, और भारत कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं?'”
इस दौरान चंद्रशेखर आजाद ने यह सवाल उठाया कि क्या संविधान के अनुसार बात रखी जा रही है और क्या हमारी चर्चा संविधान के मूलभावनाओं के अनुरूप है। उनकी यह टिप्पणी भारतीय राजनीति और संविधान के प्रति उनके गहरे विश्वास को दर्शाती है।
इस पूरी घटना में चंद्रशेखर आजाद ने न केवल दलितों के अधिकारों की बात की, बल्कि संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। उनके बोलने का तरीका और शब्दों में उनका गुस्सा इस बात को दर्शाता है कि उन्हें संसद में अपनी आवाज उठाने का पूरा हक है, और वे किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ खड़े हैं।
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