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Delhi Assembly Election : क्या बीजेपी ये रणनीति करेगी कमाल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे के बिना उतरेगी BJP

by | Dec 20, 2024 | आपका जिला, ख़बर, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Delhi Assembly Election : दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा तय न करने का बीजेपी का बड़ा फैसला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के ही चुनावी मैदान में उतरेगी। पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रमुख चुनावी एजेंडा बनाने का फैसला किया है। बीजेपी जल्द ही अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी।

पिछले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने इसी रणनीति को अपनाया था। इन राज्यों में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान चुनाव से पहले नहीं किया था। चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी ने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया था, जो एक प्रकार से पार्टी की रणनीतिक जीत साबित हुआ था। अब दिल्ली में भी बीजेपी इसी फॉर्मूले को दोहराने की तैयारी में है।

बीजेपी की दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य रणनीति आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की होगी। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इस चुनाव में AAP द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों को प्रमुख रूप से उठाएगी, ताकि पार्टी को चुनावी फायदा मिल सके। बीजेपी के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के विकास और प्रशासन के मामले में कई गलतियां की हैं, जिन्हें अब उजागर किया जाएगा।

इससे पहले, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि पार्टी के पास दिल्ली के लिए कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी के पास दिल्ली के भविष्य को लेकर कोई ठोस विजन नहीं है। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य दिल्ली के विकास और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करना है, न कि केवल मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चर्चा करना।

बीजेपी (Delhi Assembly Election) का बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनावी मैदान में उतरना पार्टी की एक मचाई हुई रणनीति है। इस रणनीति के तहत चुनावों में उतरने के बाद पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट दी थी, जिससे वे चुनावी माहौल में ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर सके। पार्टी का मानना है कि बिना किसी एक चेहरे के चुनावी प्रचार करने से पार्टी को अधिक चुनावी लाभ मिल सकता है, जैसा कि पिछले विधानसभा चुनावों में देखा गया था।

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