Mallikarjun Kharge : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को राज्यसभा में एक विवादास्पद बयान दिया, जिससे सदन में हंगामा मच गया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उच्च सदन में हुई चर्चा के दौरान, खरगे ने महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में ‘हजारों’ लोगों की मौत का दावा किया। उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्य आक्रोशित हो गए और सदन में शोर-शराबा बढ़ गया।
खरगे ने कहा, महाकुंभ भगदड़ में एक हजार लोग मारे गए, और इसके साथ ही उन्होंने सरकार से यह सवाल किया कि यदि उनका दावा गलत है, तो सरकार कम से कम वहां हुई मौतों की सही संख्या की रिपोर्ट जारी करें। खरगे ने यह भी कहा कि वह किसी को दोषी ठहराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार को यह आंकड़ा सामने लाना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर मैं गलत हूं तो मैं माफी मांगूंगा, लेकिन सरकार को यह आंकड़ा तो देना चाहिए कि कितने लोग मारे गए और कितने लापता हैं।
खरगे के इस बयान के बाद, सभापति जगदीप धनखड़ ने हस्तक्षेप किया और उन्हें बयान वापस लेने का आग्रह किया। धनखड़ ने कहा, आपने हजारों लोगों की मौत का आंकड़ा दिया है, जो सदन के लिए उचित नहीं है। ऐसा कुछ कहा गया है, जिससे पूरी दुनिया में गलत संदेश जा सकता है।
इस पर, खरगे ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी को दोषी ठहराने के लिए ऐसा बयान नहीं दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को सम्मानित किया, विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उनके योगदान को रेखांकित किया।
मोहन भागवत से माफी की मांग
वहीं, खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भागवत ने हाल ही में बयान दिया था कि देश को स्वतंत्रता तब मिली जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई। खरगे ने इसे स्वतंत्रता सेनानियों और महात्मा गांधी का अपमान करार दिया और कहा, “देश को स्वतंत्रता हमने, यानी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने दिलाई। मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए और भागवत को अपने शब्द वापस लेने चाहिए।”
खरगे (Mallikarjun Kharge) के इन बयानों ने न केवल राज्यसभा में हंगामा खड़ा किया, बल्कि यह विवाद एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को भी जन्म दे रहा है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक प्रतीकों के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं।