Mayawati News : भारतीय राजनीति में हमेशा से चुनाव प्रणाली को लेकर बहस चलती रही है। हाल ही में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) के मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने मोदी सरकार का समर्थन कर एक नया मोड़ दिया है। जबकि विपक्ष के अन्य नेता इस मुद्दे पर सहमत नहीं हैं, मायावती ने अपनी पार्टी की ओर से इस व्यवस्था को ‘सकारात्मक’ बताया है।
मायावती का बयान और पार्टी का रुख
मायावती ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक बयान जारी कर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर उनकी पार्टी का रुख सकारात्मक है, लेकिन यह आवश्यक है कि इसका उद्देश्य देश और जनहित में हो। उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने का समर्थन किया, लेकिन साथ ही इस पर भी जोर दिया कि इसे सही और ईमानदारी से लागू करना जरूरी है।
कोविंद समिति की सिफारिशें
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (Mayawati News) को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने मार्च 2024 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट में दो चरणों में चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई थी। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है, जबकि दूसरे चरण में लोकसभा चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की बात कही गई है।
साथ ही समिति ने एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र के निर्माण की भी सिफारिश की, जिससे चुनाव प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
संवैधानिक चुनौतियां
हालांकि, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की राह में कई संवैधानिक अड़चनें हैं। वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है, जबकि स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए 18 संवैधानिक संशोधन किए जाने की आवश्यकता है, जिनमें से कुछ को राज्य विधानसभाओं से पास कराने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन, एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र के संबंध में संशोधनों के लिए कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं का समर्थन आवश्यक होगा।
विपक्ष का मत
इस मुद्दे पर विपक्ष बंटा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘विपक्षी एकता’ के साथ मिलकर इसका विरोध किया है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने इसे ‘संवैधानिक रूप से असंभव’ बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास 5 संवैधानिक संशोधनों को पास कराने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है। चिदंबरम के अनुसार, यह जानकारी उन्हें सरकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है।