Online Classes : मंगलवार को बढ़ते प्रदूषण के कारण शहर के अधिकांश स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कीं, जिससे छात्रों और अभिभावकों को एक बार फिर कोरोना काल की यादें ताजा हो गईं। सोमवार रात 11:30 बजे से ही स्कूलों ने अभिभावकों को बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में संदेश भेजना शुरू कर दिया था। हालांकि, कुछ सरकारी और माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था समय रहते नहीं हो पाई, वहीं पब्लिक स्कूलों में कक्षाओं का संचालन हुआ।
ऑनलाइन कक्षाओं की चुनौतियाँ
जहां कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था की, वहीं कई जगहों पर यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई। अभिभावकों का कहना था कि ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अतिरिक्त मोबाइल और इंटरनेट की व्यवस्था अचानक से करना उनके लिए मुश्किल था। खासकर उन घरों में यह समस्या बढी, जहां दोनों माता-पिता नौकरी करते हैं और घर में मोबाइल या इंटरनेट की सुविधा कम है।
इसके अलावा, स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या भी रही, जिससे कक्षाओं के संचालन में रुकावट आई। कुछ स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं की उपस्थिति शून्य के आसपास रही, जबकि कुछ में कम उपस्थिति दर्ज की गई।
शिक्षा स्तर पर अंतर
शहर में दो प्रमुख शिक्षा स्तर – बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा में ऑनलाइन कक्षाओं की स्थिति एक जैसी नहीं रही। बेसिक शिक्षा में लगभग 8 से 10 प्रतिशत बच्चों के पास एंड्रायड फोन की सुविधा थी, जिसके कारण बहुत कम बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ मिल पाया। वहीं, माध्यमिक शिक्षा में भी स्थिति अधिक भिन्न नहीं रही। वहां पर ऑनलाइन कक्षाएं केवल 20 से 25 प्रतिशत स्कूलों में ही आयोजित हो पाई और इन कक्षाओं में भी शतप्रतिशत उपस्थिति नहीं रही।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में शिक्षा का स्तर प्रभावित हुआ था, और अब जब प्रदूषण के कारण फिर से ऑनलाइन कक्षाओं का रुख किया गया है, तो यह समस्याएँ फिर से उभर कर सामने आई हैं। बच्चों के लिए पढ़ाई जारी रखना तो जरूरी है, लेकिन बिना उचित संसाधनों के कक्षाओं का संचालन एक बड़ी चुनौती बन गई है।
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