US Trump Action: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने एक बार फिर भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के आयात में शामिल होने के कारण 7 भारतीय कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके साथ ही भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी लागू किया गया है, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
क्यों हुई कार्रवाई? ईरानी व्यापार पर अमेरिका का शिकंजा
ट्रंप प्रशासन की “अधिकतम दबाव नीति” के तहत ईरान के आर्थिक नेटवर्क को कमजोर करने के प्रयास जारी हैं। अमेरिका का स्पष्ट कहना है कि कोई भी देश या संस्था, जो ईरान से तेल या उससे संबंधित उत्पादों का व्यापार करती है, उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा और अमेरिका के साथ व्यापार नहीं करने दिया जाएगा।
प्रतिबंधित भारतीय कंपनियों की सूची
- कंचन पॉलिमर्स – यूएई की कंपनी से 1.3 मिलियन डॉलर मूल्य के ईरानी पॉलीइथाइलीन का आयात
- एल्केमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड – 84 मिलियन डॉलर से अधिक का ईरानी पेट्रोकेमिकल व्यापार
- रामणिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी – 22 मिलियन डॉलर मूल्य के मेथनॉल और टोल्यूनि का व्यापार
- जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड – 49 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात
- ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड – 51 मिलियन डॉलर का ईरानी मेथनॉल
- पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम – 14 मिलियन डॉलर मूल्य के पेट्रोकेमिकल्स
- ईएनएसए शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (मुंबई) – ईरानी तेल से जुड़े शिपमेंट का प्रबंधन
इनके अलावा अन्य 20 संस्थाएं और 10 जहाज भी अमेरिकी प्रतिबंधों की सूची में शामिल किए गए हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा ज्ञापन के तहत सख्त निर्देश
यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा राष्ट्रपति ज्ञापन-2 (NSPM-2) के तहत की गई है, जिसे 4 फरवरी 2025 को ट्रंप सरकार ने जारी किया था। इसका उद्देश्य है ईरान के तेल निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और उससे जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को खत्म करना।
ट्रंप सरकार की कूटनीतिक चाल, भारत पर बना दबाव
यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत प्रस्तावित थी। एक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल के 25 अगस्त को भारत दौरे की तैयारी चल रही थी, लेकिन अब इस प्रतिबंध और टैरिफ की घोषणा को भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत ने हाल ही में जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ सकारात्मक व्यापार समझौते किए हैं, जिससे अमेरिका की चिंता और प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
क्या होगा आगे का असर?
इन प्रतिबंधों से प्रभावित कंपनियों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधित होगा और भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। साथ ही, यह कदम भारत की ऊर्जा और रसायन आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर डाल सकता है।
ईरानी तेल की कीमत चुकानी पड़ी भारतीय कंपनियों को
अमेरिका की यह कार्रवाई बताती है कि ईरान के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार अमेरिका के लिए अस्वीकार्य है। ट्रंप सरकार की “अधिकतम दबाव” नीति ने भारत समेत कई देशों को एक बार फिर कड़े फैसलों के लिए मजबूर कर दिया है।
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