Varanasi News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मदनपुरा इलाके में स्थित एक हिंदू मंदिर को लेकर हाल ही में एक बड़ा मुद्दा उठ खड़ा हुआ है। इस मंदिर को करीब चार दशकों से उपेक्षा और बंदी का सामना करना पड़ा है। अब इस मंदिर को फिर से खोले जाने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके कारण इलाके में तनाव पैदा हो गया है। इस मंदिर को खोलने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो रहे हैं, और इसके साथ ही प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा बढ़ाने के लिए PAC (प्रादेशिक आर्म्ड कॉर्प्स) के जवानों की तैनाती कर दी है।
मंदिर की उपेक्षा और स्वामित्व विवाद
मदनपुरा क्षेत्र में स्थित यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित है। लंबे समय से यह मंदिर उपेक्षित पड़ा हुआ था और इसकी अवस्था काफी खराब हो गई है। मंदिर परिसर गंदगी और मलबे से भरा हुआ है। स्थानीय निवासी अजय शर्मा, जो सनातन रक्षा दल के नेता हैं, ने बताया कि यह मंदिर पहले हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा संचालित किया जाता था। लेकिन बाद में इसके आसपास की जमीन मुस्लिम परिवारों ने खरीद ली, जिससे मंदिर का संचालन ठप हो गया।
अजय शर्मा ने कहा, “यह मंदिर वर्षों से उपेक्षित रहा है और अब समय आ गया है कि इसे फिर से खोला जाए।” उन्होंने यह भी बताया कि इस इलाके में रहने वाले स्थानीय लोग मंदिर को फिर से खोलने पर कोई विरोध नहीं कर रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई और PAC की तैनाती
मंदिर को फिर से खोले जाने के मुद्दे पर प्रशासन और पुलिस सक्रिय हो गए हैं। मंगलवार को जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने मंदिर का निरीक्षण किया और यह सुनिश्चित किया कि सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी हों। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मंदिर का ताला किसके पास है और इसकी चाबी कहां रखी गई है।
जांच के तहत, राजस्व और प्रशासनिक टीमों ने पुराने रिकॉर्ड की तलाश शुरू कर दी है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति के रूप में घोषित किया जाता है, तो इसे सभी के लिए खोल दिया जाएगा।
सुरक्षा को देखते हुए, इलाके में पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं, और गश्त की जा रही है। पुलिस ने स्थानीय लोगों से भी सहयोग की अपील की है ताकि किसी भी प्रकार का विवाद या अप्रिय घटना न हो।
मंदिर की सफाई और पुनः उद्घाटन की उम्मीद
अजय शर्मा (Varanasi News) ने बताया कि मंदिर को खोलने की कोशिश किसी विवाद या संघर्ष के कारण नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर के फिर से खोलने को लेकर कोई विरोध नहीं है, और पुलिस प्रशासन ने इस मामले में पूरा सहयोग दिया है।
जल्द ही मंदिर की सफाई कार्य शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। स्थानीय अधिकारियों की देखरेख में इसे फिर से पुनः स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। इस बीच, प्रशासन का कहना है कि यदि सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होती हैं और मंदिर सार्वजनिक संपत्ति के रूप में घोषित होता है, तो इसे फिर से आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
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