Ajith Kumar Viral Video: तमिलनाडु के काली मां के मशहुर मंदिर से एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रही है। आपको बता दें कि उस वीडियो में पुलिस वाला गार्ड को बेरहमी से पिटता हुआ नजर आ रहा है, जिसके कारण 27 वर्षीय बी. अजीत कुमार की हिरासत में संदिग्ध मौत हो गई, इस घटना ने तमिलनाडु को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस ने शुरुआत में दावा किया था कि अजीत को मिर्गी का दौरा पड़ा और वह भागने की कोशिश में गिर पड़ा, जिससे उसकी मौत हुई। लेकिन वायरल वीडियो और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही और बर्बरता को उजागर कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
28 जून 2025 को अजीत कुमार पर चोरी का मामला दर्ज किया गया। वह सिवगंगा जिले के एक मंदिर में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था। एक दिन पहले, मंदिर आई एक महिला श्रद्धालु ने आरोप लगाया कि उसकी कार से 9.5 सोने की सॉवरेन और ₹2,500 नकद गायब हो गए। अजीत ने ही उन्हें वाहन पार्किंग में मदद की थी। इस शिकायत के आधार पर एक हेड कॉन्स्टेबल और एक सिपाही ने अजीत से पूछताछ की। हालांकि, अधिकारियों का कहना था कि उसकी बातों में “विरोधाभास था और तथ्य मेल नहीं खा रहे थे।”
जब यह जानकारी डीएसपी और थिरुपुनम इंस्पेक्टर को दी गई, तो उन्होंने निर्देश दिया कि “उसे अच्छे से ट्रीट करें और चोरी का माल बरामद करें।” लेकिन जल्द ही अजीत को कथित रूप से मिर्गी का दौरा पड़ा और वह गिर गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वायरल वीडियो और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोली पोल
इस आधिकारिक बयान पर तब सवाल उठे जब 38 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें तीन सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी अजीत को लोहे की पाइप से बेरहमी से पीटते दिखे। यह वीडियो पुलिस की शक्ति का दुरुपयोग साबित करने के लिए पर्याप्त था। बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी पुष्टि की कि अजीत की मौत हिरासत में हुई प्रताड़ना का नतीजा थी।
इसके बाद पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए और अजीत कुमार के परिवार को सख्त कार्रवाई और राज्य सरकार की पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने इस घटना को “अक्षम्य” बताया और कहा कि पुलिस को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
जांच में हुआ खुलासा
सीबीआई जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि किसी श्रद्धालु की ओर से कोई आधिकारिक चोरी की शिकायत दर्ज ही नहीं की गई थी और कोई एफआईआर भी नहीं थी — जिससे अजीत की गिरफ्तारी और पूछताछ की वैधता पर गंभीर सवाल खड़े हुए।
हाई कोर्ट के सख्त निर्देश
मदुरै बेंच ऑफ मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले को संभावित हिरासत में हत्या मानते हुए जिला जज से जांच का आदेश दिया है। रिपोर्ट 8 जुलाई तक पेश करने को कहा गया है। अदालत ने कहा, “एक हत्यारा भी इस तरह हमला नहीं करता,” और सबूत मिटाने, शव को मदुरै ले जाने की वैधता और विशेष पुलिस टीम की अधिकृत नियुक्ति पर सवाल उठाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जिम्मेदार सभी अधिकारियों, चाहे वे किसी भी स्तर के हों, पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
यह मामला राजनीतिक भूचाल बन गया है। डीएमके, जिसने 2020 में एआईएडीएमके शासन में सतनकुलम में हुई हिरासत में मौतों को लेकर कड़ा विरोध किया था, अब खुद 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पुलिस बर्बरता के मुद्दे पर घिर गई है।
हिरासत में हुई है और भी मौते
दरअसल, यह हिरासत में हुई पहली मौत नहीं है । पहली घटना चेन्नई में एक युवा युवक विग्नेश की मौत थी, और उसके बाद तिरुनेलवेली ज़िले में पुलिस अधिकारी बलवीर सिंह द्वारा की गई कुख्यात हिरासत में यातना का मामला सामने आया।
इंटर्न सुनीधगी सिंह द्वारा लिखित हैं
ये भी देखें: Prayagraj में पुलिस ने चन्द्रशेखर को कौशांबी जाने से रोका, तो क्या कह गए सांसद!