Air Pollution : दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को संबोधित करने में लापरवाही के लिए सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने प्रदूषण संकट के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें इस गंभीर मुद्दे से निपटने की जिम्मेदारी याद दिलाई है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि क्या सरकार लोगों को गैस चैंबर में रहते हुए देखना चाहती है।
दिल्ली के कई जगहों पर एक्यूआई 400 के पार
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली पिछले पांच वर्षों में देश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार सुबह तक दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 दर्ज किया गया, आईटीओ क्षेत्र में 451, नजफगढ़ में 472 दर्ज किया गया। आईजीआई हवाईअड्डे क्षेत्र में 500 मापा गया और नरेला में भी एक्यूआई 500 पर रहा, जो खतरनाक वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
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एनसीआर का भी हाल बेहाल
इस बीच, नोएडा के सेक्टर-125 में AQI 400 तक पहुंच गया, जिसे “गंभीर” गुणवत्ता के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सेक्टर-62 में एक्यूआई 483, सेक्टर-1 में 413 और सेक्टर-116 में 415 दर्ज कर “बहुत खराब” एक्यूआई श्रेणी में दर्ज किया गया। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण में वृद्धि देखी गई है, जिसके कारण वायु गुणवत्ता पैनल ने तीसरे चरण के दौरान ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत प्रतिबंध लगाया है, जिसमें गैर-आवश्यक निर्माण गतिविधियों और विध्वंस पर प्रतिबंध शामिल है।
कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबन्ध
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि के बीच वायु गुणवत्ता पैनल ने गुरुवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों को लागू करने का निर्देश दिया है। जिसमें गैर-जरूरी निर्माण और तोड़-फोड़ के काम पर रोक शामिल है। सीएक्यूएम की मीटिंग के बाद राजधानी में ग्रैप-3 को लागू करने का फैसला लिया गया।