Jhansi : उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एनआईसीयू) में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद राज्य सरकार हरकत में आई। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मेडिकल कॉलेज का दौरा किया।
उनके दौरे से पहले मेडिकल प्रशासन की तैयारियां और स्वागत की रस्मों ने घटना को लेकर आलोचना का नया दौर शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों को सहायता राशि देने की घोषणा की। मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की मदद मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जाएगी।
इसके साथ ही घटना की जांच के लिए झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। डिप्टी सीएम के दौरे की जानकारी मिलने पर मेडिकल प्रशासन ने रात 3 बजे अस्पताल के आसपास सफाई अभियान चलवाया। इस दौरान कर्मचारियों को सड़कों पर चूना छिड़कते हुए देखा गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
प्रशासन की संवेदनहीनता और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े हो गए। डिप्टी सीएम ने इस घटनाक्रम की निंदा करते हुए कहा कि झांसी मेडिकल कॉलेज में हमारे दौरे से पहले सड़क किनारे चूना डाला जाना बेहद दुखद है। मैं इस कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं और जिलाधिकारी से कहता हूं कि दोषी व्यक्ति को चिन्हित कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण वार्ड में ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर का शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। घटना से संबंधित जिम्मेदारियों की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए हैं। यह घटना न केवल चिकित्सा सुविधाओं की खामियों को उजागर करती है, बल्कि आपदा के बाद प्रशासन के व्यवहार पर भी सवाल खड़े करती है।
अस्पताल की व्यवस्था सुधारने की बजाय स्वागत की तैयारी पर जोर देना जनता की भावनाओं के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है। घटना की जांच के बाद जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। साथ ही, यह हादसा चिकित्सा सुविधाओं और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर ध्यान देने की गंभीर आवश्यकता को दोहराता है।