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Mahashivratri 2025 : जानें महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने के सही नियम और विधि

by | Feb 22, 2025 | अपना यूपी, आपका जिला, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Mahashivratri 2025 : महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान शिव की उपासना का विशेष अवसर होता है, जब भक्त सच्चे मन से शिवलिंग पर पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन की पूजा में बेलपत्र अर्पित करने का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं और इनके माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।

बेलपत्र का धार्मिक महत्व

बेलपत्र का पूजा में उपयोग भगवान शिव की विशेष पूजा का हिस्सा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेल के पेड़ को सभी सिद्धियों का घर माना जाता है और यदि बेल के पेड़ के नीचे बैठकर कोई स्त्रोत या मंत्र का पाठ किया जाए तो उसका फल अनंत गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा, भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और भगवान शिव अपने भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

बेलपत्र चढ़ाने की विधि

विधिपूर्वक बेलपत्र का चयन
सबसे पहले, बेलपत्र का चुनाव सही तरीके से करें। बेलपत्र हमेशा तीन पत्तों वाला होना चाहिए, क्योंकि तीन पत्तों वाला बेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। तीन से कम पत्तों वाला बेलपत्र पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए।

बेलपत्र का डंठल

बेलपत्र का डंठल पहले से तोड़कर उपयोग करना शुभ माना जाता है। जितना छोटा डंठल होगा, उतना ही शुभ माना जाता है। डंठल को तोड़ने से पहले यह सुनिश्चित करें कि बेलपत्र का आकार सही हो और कोई खामियां न हों।

बेलपत्र का धोना
बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित करने से पहले अच्छे से धो लें। इस प्रक्रिया से बेलपत्र की पवित्रता सुनिश्चित होती है और यह पूजा के लिए तैयार हो जाता है।

बेलपत्र पर ॐ लिखना

यदि चाहें, तो बेलपत्र पर चंदन या केसर में गंगाजल मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें और उस पेस्ट से बेलपत्र पर ॐ लिख सकते हैं। यह विधि अधिक प्रभावशाली मानी जाती है। अगर आप चाहें तो बिना ॐ लिखे भी इसे अर्पित कर सकते हैं।

बेलपत्र का अर्पण

अब, बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित करते समय उसका चिकना हिस्सा नीचे की ओर होना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि बेलपत्र को विषम संख्या में अर्पित करें, जैसे 3, 7, 11 या 21।

मंत्रों का जाप

बेलपत्र अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इसके अलावा, आप “त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्” मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।

बेलपत्र की स्थिति

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले यह ध्यान रखें कि वह दाग-धब्बेदार, कटी-फटी या गंदा न हो। ऐसा बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं, जिससे पूजा का फल प्रभावित हो सकता है।

निषिद्ध समय

शिवपुराण के अनुसार, कुछ विशेष दिनों में बेलपत्र तोड़ना निषिद्ध है। इन दिनों में चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार शामिल हैं। अगर आप पहले से उपयोग किए गए बेलपत्र को दुबारा चढ़ाना चाहते हैं, तो उसे धोकर पुनः अर्पित किया जा सकता है।

दैनिक हिन्ट किसी भी तंत्र-मंत्र को बढ़ावा नहीं देता है, हमारा उदेश्य सिर्फ पाठको तक खबर पहुंचाना है।

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