PDA (Pichhda, Dalit Aur Alpsankhyak): 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए विपक्षी दलों द्वारा बनाया गया इंडिया (आई.एन.डी.आई.ए.) गठबंधन अपनी अगली रणनीति को लेकर ढीला पड़ता हुआ दिखता नज़र आ रहा है। इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल के दिनों में मुखर होकर खुद को I.N.D.I.A गठबंधन से अलग करने की राह पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं, विभिन्न बैठकों और सार्वजनिक संबोधनों के दौरान, अखिलेश यादव ने लगातार I.N.D.I.A गठबंधन के बजाय PDA (पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक) से संबंधित चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित किया है।
अखिलेश यादव ने पीडीए पर अपना रुख दोहराते हुए कहा कि अगर कोई एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को हरा सकता है तो वह पीडीए की ताकत है जो विजयी होगी। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि जब वे सत्ता में आएंगे या सरकार बनाने में समर्थन देंगे तो पहला कदम जाति जनगणना कराना होगा।
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साथ ही अखिलेश यादव ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी पर संदेह जताया है. एक सार्वजनिक संबोधन के दौरान उन्होंने कहा “मुझे याद है उस समय मुख्यमंत्री जो बने थे कांग्रेस के उन्होंने कहा समाजवादी पार्टी अगर समर्थन कर दे तो दूसरे दलों से भी समर्थन मिल जाएगा. सबसे पहले सपा ने अपने इकलौते विधायक का समर्थन दिया और फिर दूसरे दल का समर्थन मिला और उसके बाद गवर्नर ने बुलाकर कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका दिया.”
आगामी चुनावों के संदर्भ में अखिलेश यादव खुद को और समाजवादी पार्टी को राजनीतिक क्षेत्र में मजबूत दावेदार के रूप में पेश करते दिख रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच बहुत कम अंतर है उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके सिद्धांत एक समान हैं। उन्होंने पीडीए सहित समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए मंडल आयोग के ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डाला है जिसमें हाशिए पर और वंचित समुदाय शामिल हैं।