UP AQI Today : उत्तर प्रदेश के शहरों में प्रदूषण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि ज्यादातर शहरों के इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के कई प्रमुख शहरों में पीएम 2.5 का स्तर घंटों तक रेड जोन में रहा, जो यह दर्शाता है कि हवा की गुणवत्ता बेहद खराब और खतरनाक थी।
आजकल उत्तर प्रदेश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार रिकॉर्ड किया जा रहा है, जो न केवल अस्वस्थ बल्कि जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद और मेरठ जैसे शहरों में एक्यूआई 400 के पार पहुंच चुका है, जो बेहद गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
प्रमुख शहरों का प्रदूषण स्तर
- गाजियाबाद: इस शहर में आज एक्यूआई 381 रिकॉर्ड किया गया, जो खतरनाक श्रेणी में आता है।
- मेरठ: यहां का एक्यूआई भी 372 पर पहुंच गया, जो खराब श्रेणी में है।
- लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तालकटोरा क्षेत्र में एक्यूआई 225 दर्ज किया गया, जबकि केंद्रीय विद्यालय क्षेत्र में भी 225 और लालबाग में 193 का स्तर देखा गया।
- गोरखपुर: गोरखपुर के एमएमएमयूटी क्षेत्र में एक्यूआई 234 रहा।
- कानपुर: यहां के कल्याणपुर इलाके में एक्यूआई 185 और नेहरूनगर में 245 दर्ज किया गया।
इसके अलावा, दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 1 में एक्यूआई 396, लॉजिक्स इंफोटेक पार्क में 394 और नॉलेज पार्क 3 में 394 दर्ज किया गया।
अन्य शहरों की स्थिति
उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों जैसे मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, और आगरा में भी प्रदूषण का स्तर गंभीर बना हुआ है।
- मेरठ: गंगानगर में एक्यूआई 381, जयभीमनगर में 372, और पल्लयवपुरम में 380 रिकॉर्ड किया गया।
- गाजियाबाद: संजय नगर में 380, इंदिरापुरम में 388, लोनी में 404 और वसुंधरा में 382 एक्यूआई दर्ज किया गया।
- मुरादाबाद: कांशीरामनगर में 400 और ट्रांसपोर्ट नगर में 392 का एक्यूआई रहा।
- प्रयागराज: नगर निगम क्षेत्र में 150 और झूंसी क्षेत्र में 175 का एक्यूआई दर्ज किया गया।
- आगरा: रोहता में 206, संजय पैलेस में 183, मनोहरपुर में 127, शास्त्री पुरम में 176 और आवास विकास कॉलोनी में 175 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया।
- बरेली: यहां राजेन्द्र नगर में एक्यूआई 296 दर्ज किया गया।
प्रदूषण का प्रभाव
उत्तर प्रदेश के इन शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंचने से आम जनजीवन पर गहरा असर पड़ रहा है। खासतौर पर सांस की बीमारी, आंखों में जलन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चों, बुजुर्गों और श्वास संबंधी समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह स्थिति और भी घातक साबित हो रही है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस संकट से निपटने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। वनों की अडवांसमेंट, प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करना, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जैसे कदम महत्वपूर्ण हो सकते हैं। साथ ही, लोगों को जागरूक करना और प्रदूषण के खतरों से बचने के लिए जरूरी उपायों की जानकारी देना भी जरूरी है।
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