UP Politics : फिलहाल उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अनिश्चितताएं व्याप्त हैं. फिलहाल कई सवाल अनुत्तरित हैं. इन सवालों में राहुल और प्रियंका के अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने से लेकर अखिलेश यादव की सीट को लेकर सस्पेंस तक शामिल है. साथ ही इस बात को लेकर भी अटकलें हैं कि क्या अपर्णा यादव को डिंपल यादव के खिलाफ मैनपुरी में मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है, जिससे दोनों बहुओं के बीच सीधा टकराव हो सकता है.
कई और भी सवाल हैं, जैसे कि क्या वरुण और मेनका का पीलीभीत और सुल्तानपुर से निष्कासन आसन्न है, जिससे संकेत मिलता है कि उन्हें पार्टी टिकट नहीं दिया जाएगा या क्या पार्टी अंततः उन्हें अंतिम समय में अपने में शामिल करेगी और उन्हें टिकट देगी। आखिर क्या होगा चन्द्रशेखर आजाद का भाग्य? कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद क्या अकेले लड़ना पड़ेगा चन्द्रशेखर को? ये वो सवाल हैं जो फिलहाल उत्तर प्रदेश की राजनीति में जवाब तलाश रहे हैं.
कांग्रेस लगातार कह रही है कि राहुल और प्रियंका अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व के नजरिए से अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है. यह सुझाव दिया जा रहा है कि प्रियंका रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी, और राहुल गांधी ने वायनाड से चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा की है. नतीजतन, कांग्रेस अमेठी और रायबरेली से नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है.
हालांकि, कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि अमेठी और रायबरेली पारिवारिक सीटें हैं और आखिरकार राहुल और प्रियंका ही यहां उम्मीदवार होंगे.दूसरी ओर, इस बात को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे या राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति बरकरार रखना पसंद करेंगे. कई महीने पहले ही अखिलेश यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी.
बीजेपी ने अपना उम्मीदवार तो घोषित कर दिया है, लेकिन अखिलेश यादव के फैसले पर सस्पेंस बना हुआ है. ऐसी अटकलें हैं कि अखिलेश यादव या तो आखिरी वक्त पर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करेंगे या फिर चुनाव लड़ने से ही परहेज करेंगे.इस बीच, मैनपुरी में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. डिंपल यादव कई दिनों से मैनपुरी में सक्रिय रूप से प्रचार कर रही हैं और जनता से जुड़ रही हैं.
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एक दिन पहले समाजवादी पार्टी ने प्रशासन पर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मैनपुरी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की थी. दूसरी ओर ऐसी भी अटकलें हैं कि दोनों बहुएं एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. जब डिंपल यादव से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैनपुरी मुलायम सिंह यादव की है. जो भी यहां चुनाव लड़ने का फैसला करेगा, जीत अंततः नेताजी की होगी.
पीलीभीत से वरुण गांधी की उम्मीदवारी को लेकर सस्पेंस सबसे ज्यादा प्रत्याशा पैदा कर रहा है. दो दिन पहले वरुण गांधी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि न्याय होगा. इस बयान से माना जा रहा था कि वरुण गांधी को टिकट मिलने का भरोसा बढ़ गया होगा, लेकिन दिल्ली में बीजेपी की कोर कमेटी के सभी सदस्यों ने वरुण गांधी के टिकट का विरोध किया है. इसलिए वरुण गांधी के टिकट को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
उधर, भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आजाद और अखिलेश यादव के बीच भी तनातनी बनी हुई है. कुछ दिन पहले चन्द्रशेखर आजाद ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर अखिलेश यादव का वश चले तो वह उनका अस्तित्व ही नहीं रहने देंगे.
इसके बाद अखिलेश यादव ने नगीना से अपना उम्मीदवार हटा दिया, जहां से चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी. बीजेपी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है और बीएसपी भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन कांग्रेस के बैनर का फायदा फिलहाल चन्द्रशेखर के काम को मिलता नहीं दिख रहा है.