Maharashtra News : महाराष्ट्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। आपको बता दें कि शुक्रवार की देर रात ठाणे जिले में पुलिस स्टेशन के अंदर फायरिंग हुई। इस फायरिंग के दौरान दो लोग घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) गुट के नेताओं के बीच तीखी असहमति के बाद झड़प हो गई।
डीसीपी सुधाकर पाटिल के मुताबिक शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता महेश गायकवाड़ और बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ के बीच किसी अज्ञात मामले को लेकर विवाद हुआ। वे पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने आए थे, लेकिन बातचीत के दौरान गणपत गायकवाड़ ने कथित तौर पर महेश गायकवाड़ और उनके साथियों पर गोलियां चला दीं। दो लोग घायल हो गए और उन्हें तुरंत चिकित्सा के लिए अस्पताल ले जाया गया। पुलिस घटना की सक्रियता से जांच कर रही है।
ये भी देखें : UP New DGP : उत्तर प्रदेश में CM योगी ने तैनात किया अपना सिपाही, चौथे डीजीपी बने प्रशांत कुमार !
शिवसेना नेता ने खड़े किए सवाल
शिवसेना (यूबीआईटी) नेता आनंद दुबे ने गोलीबारी के आसपास की परिस्थितियों पर सवाल उठाए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ द्वारा पुलिस स्टेशन के अंदर गोलियां चलाई गईं, जिसमें शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता महेश गायकवाड़ घायल हो गए। यह घटना महाराष्ट्र में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता पैदा करती है।
आनंद दुबे ने एक विधायक के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर निराशा व्यक्त की, जिनकी प्राथमिक जिम्मेदारी हजारों लोगों के कल्याण के लिए काम करना है। उन्होंने इस विडंबना पर जोर दिया कि एक जन प्रतिनिधि साथी नागरिकों के खिलाफ हिंसा का सहारा लेगा। राज्य में दो प्रमुख दलों के नेताओं के बीच चल रही राजनीतिक कलह अराजकता और अस्थिरता के माहौल में योगदान दे रही है।
दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर किया वार
दोनों दलों के नेताओं के हिंसक विवादों में शामिल होने से यह शासन की स्थिति पर सवाल उठाता है। 3 इंजन वाली सरकार के दौर में इन दोनों पार्टियों के नेता न सिर्फ सहयोग करने में नाकाम हो रहे हैं बल्कि एक-दूसरे को शारीरिक तौर पर भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह परिदृश्य राज्य की दिशा की एक गंभीर तस्वीर पेश करता है ‘जंगलराज’ के उद्भव के क्या ये सब जंगलराज समान नहीं है?
चूंकि नागरिक ऐसी घटनाओं को देखते हैं, इसलिए राज्य की प्रगति के समग्र प्रक्षेप पथ पर विचार करना आवश्यक हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक परिदृश्य सत्ता संघर्ष से प्रभावित हो गया है, जिससे लोगों के वास्तविक विकास में बाधा आ रही है। अधिकारियों के लिए इन मुद्दों को तुरंत संबोधित करना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करना महत्वपूर्ण है। राजनीतिक हिंसा की परेशान करने वाली प्रवृत्ति के आगे झुकने के बजाय शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्धता और लोगों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना समय की मांग है।