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Bihar News : पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी ने दिया इस्तीफा, जानिए किस पार्टी में हुई वापसी

by | Mar 19, 2024 | अपना यूपी, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Bihar News : लोकसभा चुनाव से पहले दरभंगा सीट पर उम्मीद लगाए बैठे है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर हुए समझौते के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ फातमी ने मंगलवार को अपना इस्तीफा दे दिया। बता दें कि उन्होंने नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के हित में प्राथमिक सदस्यता सहित जदयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अली असरफ फातमी ने इस्तीफे में लिखा है कि मैं नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए जनता दल यूनाइटेड के सारे पदों के साथ प्राथमिक सदस्य से इस्तीफा दे रहा हूं।

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Bihar News : बता दें कि फातमी, जो पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से जुड़े थे, अली असरफ फातमी ने चार बार दरभंगा से संसद सदस्य के रूप में कार्य किया है। बताया जा रहा है कि विशेष रूप से, जेडीयू से जुड़े रहने के दौरान उन्होंने मंत्री पद संभाला और राज्य में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। वही पिछले आम चुनाव में जदयू से टिकट नहीं मिलने के बाद फातमी ने मधुबनी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद, वह जदयू में फिर से शामिल हो गए लेकिन पार्टी के भीतर अपनी स्थिति से असंतुष्ट थे।

मिली जानकारी के मुताबिक, फातमी फिर से राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो सकते हैं और मधुबनी से चुनाव लड़ सकते हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा जीत और असफलताओं से भरी रही है, जिसमें जेडीयू के भीतर मतभेदों के कारण पार्टियों को बदलना और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना शामिल है।

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अली अशरफ फातमी 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे। परन्तु उसके पश्चात 1996, 1998 में जनता दल बदलकर राजद हो गया।  फातमी ने इसके बाद भी अपनी जीत बरकरार रखी। पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र एवं पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजादभारतीय जनता पार्टी की टिकट पर 1999 के लोकसभा चुनाव जीते और पहली बार अली असरफ फातमी को हार का सामना करना पड़ा। परन्तु राजद ने 2004, 2009 में हुए लोकसभा के चुनाव में फातमी को टिकट नहीं दी। जिसके बाद नाराजगी में पहले मधुबनी लोकसभा से उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने उसके बाद जदयू की सदस्यता ली और फिर उनको राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। परन्तु पार्टी में उन्हें उचित स्थान नही मिला। और उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल में वापसी की।

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