Mafia Mukhtar : यूपी में योगी की सरकार बनते ही माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसके परिवार के लिए मुश्किल वक्त शुरू हो गया। अपने अपराधों की सज़ा से बचने के लिए उसने पंजाब में शरण ली जहाँ उसने जेल में अपना समय बिताया। सीएम योगी ने उन्हें सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी। उन्होंने केस जीत लिया और मुख्तार को बांदा की उसी जेल में रखा गया, जहां गुरुवार रात उन्होंने आखिरी सांस ली।
सरकार एक माफिया के लिए सुप्रीम कोर्ट क्यों गई और हर अपराध पर तीन दशकों तक अदालतों में इतनी सख्ती से सुनवाई क्यों की गई? इसके पीछे की कहानी समझने के लिए 18 साल पीछे जाना होगा। 2005 में मुख्तार अंसारी के इलाके मऊ में दंगा हुआ था। मुख्तार अंसारी कर्फ्यू के दौरान भी खुली कार में दंगा प्रभावित इलाकों में खुलेआम घूमते रहे। उन पर दंगा भड़काने का भी आरोप लगा। उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे।
योगी ने मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar) को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे। वे गोरखपुर से मऊ तक भी निकल पड़े थे, लेकिन उस वक्त यूपी में न तो बीजेपी की सरकार थी और न ही योगी का कोई खास प्रभाव था। योगी को मऊ में घुसने नहीं दिया गया। उन्हें दोहरी घाट पर रोककर वापस भेज दिया गया। तीन साल बाद योगी को एक और मौका मिला और 2008 में उन्होंने मुख्तार अंसारी को फिर से चुनौती दी।
योगी ने ऐलान किया कि वह हिंदू युवा वाहिनी के नेता के तौर पर आज़मगढ़ में रैली करेंगे। 7 सितंबर 2008 को डीडी डिग्री कॉलेज के मैदान में एक रैली का आयोजन किया गया था। रैली में मुख्य वक्ता योगी आदित्यनाथ थे। रैली की सुबह गोरखनाथ मंदिर से करीब 40 गाड़ियों का काफिला निकला। आज़मगढ़ के तकिया इलाके में अचानक योगी की गाड़ी पर पथराव हो गया।
फायरिंग भी होने लगी। योगी के बंदूकधारियों ने भी गोलियां चलाईं। एक युवक की मौत से यह मामला और बढ़ गया। गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। हमले की योजना बनाई गई थी। योगी ने उस वक्त कहा था कि हम इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। जिसने भी गोली चलाई है, अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी तो उसे उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा। उनका सीधा इशारा मुख्तार अंसारी की ओर था।
उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा सरकार सत्ता में आने पर दोषियों से निपटेगी। योगी के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। सरकार बनते ही उन्होंने प्रदेश के माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। मुख्तार अंसारी उनके रडार पर आ गए। वह भाग गये और पंजाब की जेल में चले गये। लेकिन उनकी चालें काम नहीं आईं। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी और मुख्तार को वापस यूपी लाकर उसके गुनाहों की सजा का दौर शुरू किया।
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