Kanpur News : आतंकवादी संगठन अकसर आत्मघाती हमलों के लिए अपने सदस्यों का इस्तेमाल करते हैं। इन आत्मघाती हमलावरों का मकसद खुद को बम से उड़ाकर दुश्मन को भी साथ ले जाना होता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या भी इसी तरीके से की गई थी। अब आईआईटी कानपुर ने इसी तर्ज पर एक आत्मघाती ड्रोन विकसित किया है, जो देश के दुश्मनों के लिए किसी काल से कम नहीं है।
आईआईटी कानपुर ने तैयार किया ड्रोन
पहले दुश्मनों की खोज-खबर देने वाले ड्रोन का सफल संचालन करने के बाद आईआईटी कानपुर ने अब आत्मघाती ड्रोन तैयार किया है। इसे “कामकाजी ड्रोन” का नाम दिया गया है। यह ड्रोन दुश्मनों के ठिकानों में जाकर खुद को विस्फोट कर समाप्त कर लेगा। यहां तक कि जीपीएस सिग्नल ब्लॉक होने की स्थिति में भी, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में जाकर हमला करेगा। करीब 6 महीने के ट्रायल के बाद यह पूरी तरह से तैयार हो गया है।
100 किलोमीटर दूर जाकर करेगा वार
आईआईटी कानपुर का यह आत्मघाती ड्रोन भारतीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर जाकर दुश्मनों पर हमला कर सकता है। इसे यह दूरी तय करने में केवल 40 मिनट का समय लगेगा। आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर सुब्रमण्यम सडरेला और उनकी टीम ने इसे तैयार किया है। डॉक्टर सडरेला का कहना है कि इसे रडार में ना आने के लिए स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह ड्रोन 2 मीटर लंबा है और फोल्डेबल फिक्स्ड विंग के साथ आता है। इसकी उड़ान की क्षमता 40,000 फीट की ऊंचाई तक है, जो इसे दुश्मन के ठिकानों तक पहुंचाने में मदद करती है।
GPS ब्लॉक होने पर भी करेगा हमला
यह आत्मघाती ड्रोन एआई तकनीक पर आधारित है। इसके पंखों में कैमरे और सेंसर लगे हुए हैं, जो इसे जीपीएस ब्लॉक होने की स्थिति में भी टारगेट को तबाह करने में मदद करते हैं। यह ड्रोन सेना के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार बनने जा रहा है। यह भारत का पहला ड्रोन है, जो खुद ही फैसले ले सकता है और इसे बेस स्टेशन से रिमोट के जरिए भी नियंत्रित किया जा सकता है। यह अपने लक्ष्य से अधिकतम 2 मीटर तक ही भटक सकता है और दिन-रात दोनों समय उड़ान भरने में सक्षम है।
सीमा पर सुरक्षा के लिए गेम-चेंजर
आईआईटी कानपुर (Kanpur News) का यह आत्मघाती ड्रोन सीमा पर दुश्मनों के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तैयार है। यह ड्रोन भारतीय सेना के लिए एक बड़ी ताकत साबित होगा, क्योंकि इसकी तकनीकी क्षमताएं इसे दुश्मनों के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार बनाती हैं।
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