Arvind Kejriwal : दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति मामले में मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय केजरीवाल के लिए एक कठिन चुनौती पेश कर सकता है, खासकर जब दिल्ली विधानसभा चुनाव करीब हैं।
ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की आबकारी नीति के माध्यम से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर विभिन्न संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुँचाया था। ईडी ने इस मामले में पहले ही अपनी जांच शुरू कर दी थी और अब यह आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने शराब नीति में भ्रष्टाचार किया था। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि उसने आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में भारी भ्रष्टाचार का पता लगाया है। इस मामले में अदालत ने भी संज्ञान लिया था और 9 जुलाई को शिकायत को मंजूरी दी थी।
AAP ने आरोपों को किया खारिज
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को सख्त तरीके से खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि दो साल की लंबी जांच के बाद भी एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ है, और किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं पाया गया। पार्टी ने यह भी कहा कि 500 लोगों से पूछताछ की गई, 50,000 पन्नों के दस्तावेज पेश किए गए और 250 से अधिक छापे मारे गए, लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले। AAP का आरोप है कि यह पूरा मामला बीजेपी की राजनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सिर्फ अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को बदनाम करना और चुनावों में नुकसान पहुँचाना है।
उपराज्यपाल का बयान
उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे जाने के बाद ईडी को यह मंजूरी दी है। ईडी ने इस महीने की शुरुआत में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उपराज्यपाल से अनुमति की मांग की थी।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले (Arvind Kejriwal) का संबंध दिल्ली सरकार की आबकारी नीति से है, जिसे 2021 में लागू किया गया था। दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों के संचालन के लिए नई नीति बनाई थी, जिसका उद्देश्य शराब के कारोबार को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाना था। हालांकि, आरोप है कि इस नीति का निर्माण और कार्यान्वयन भ्रष्टाचार के तहत हुआ, जिससे कुछ व्यापारियों को अवैध लाभ हुआ। ईडी ने इसी आरोप के आधार पर जांच शुरू की थी और अब मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगी है।
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