New Income Tax Slabs : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में बड़ी घोषणा की है कि अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह घोषणा भारत की टैक्स व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। भारत में इनकम टैक्स की दरें समय-समय पर बदलती रही हैं, जो देश के आर्थिक विकास और जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं। टैक्स दरों में वृद्धि या कमी का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है, इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि टैक्स प्रणाली सभी वर्गों के लिए न्यायसंगत हो।
कब-कब कितना बदला टैक्स दर
- 1997-98: पहली बड़ी बढ़ोतरी
1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आयकर की दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किए। इस वर्ष 5 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 40% का कर लगाया गया था, जो उस समय का सबसे उच्चतम स्तर था। यह बदलाव भारतीय टैक्स प्रणाली में एक बड़ी घटना के रूप में देखा गया।
- 2009-10: अधिभार का समावेश
वित्त वर्ष 2009-10 में सरकार ने व्यक्तिगत आयकर पर अधिभार को समाप्त कर दिया था। हालांकि, इसके बाद 2010-11 में, 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 10% का अधिभार लागू किया गया। इस कदम से उच्च आय वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा, लेकिन इसका उद्देश्य सरकारी खजाने की भरपाई था।
- 2014-15: नई कर व्यवस्था
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने नई कर व्यवस्था पेश की। इस वर्ष, आयकर स्लैब में कुछ बदलाव किए गए थे। 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं था, लेकिन 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर 10% और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20% कर लगाया गया। यह बदलाव मध्यम वर्ग के लिए राहत का कारण बना।
- 2018-19: स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर
2018 में सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर को बढ़ाकर 4% कर दिया। इसने उच्च आय वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला। इसके अलावा इस वर्ष से नए टैक्स स्लैब भी लागू हुए थे, जिससे आयकर प्रणाली को और अधिक सुव्यवस्थित किया गया।
- 2020-21: कोविड-19 के प्रभाव
कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने राहत उपायों के तहत कुछ करों को स्थगित किया, लेकिन इसके बावजूद उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें स्थिर रहीं। इस समय सरकार ने आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए टैक्स में किसी बड़े बदलाव से परहेज किया।
- 2021-22: स्थिरता का प्रयास
इस वर्ष में भी सरकार ने टैक्स दरों को स्थिर रखा। हालांकि कुछ विशेष प्रावधानों के तहत उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें बढ़ाई गईं। यह प्रयास आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और टैक्स प्रणाली को सरल बनाने के लिए था।
अभी तक क्या था (2024-25)
वर्तमान समय में न्यू टैक्स रिजीम के तहत 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। वहीं 3 से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 7 से 10 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स देना होता है, जबकि 10 से 12 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी टैक्स लगता है।
नया बदलाव (2025-26)
अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि 12 लाख रुपये तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह फैसला मध्यम वर्ग और उच्च आय वर्ग के लिए राहत लेकर आया है और टैक्स व्यवस्था को और अधिक सरल और न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।