Women’s Day 2025 : आज, 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन महिलाओं के समाज में योगदान को मान्यता देने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का अवसर होता है। इस दिन का महत्व बढ़ता जा रहा है क्योंकि समाज में महिलाओं के उत्थान, सशक्तिकरण और समान अधिकारों के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
इस खास मौके पर भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को शुभकामनाएं दीं और उनके योगदान को नमन किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में कहा कि महिलाएं किसी भी समाज की रीढ़ होती हैं और उनके बिना कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता। महिलाओं का उत्थान और उनकी समान भागीदारी से ही समाज की सशक्त नींव रखी जा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिला दिवस पर विशेष संदेश दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर कहा, हम महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति को नमन करते हैं। हमारी सरकार हमेशा से नारी सशक्तिकरण की दिशा में काम करती रही है, और यह हमारी योजनाओं में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी प्रयास
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के द्वारा किए गए महिला सशक्तिकरण के प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज महिलाओं द्वारा नेतृत्व किए जा रहे विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने यह उदाहरण दिया कि उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को महिलाओं के हाथों में सौंपा है, जो अब विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं।
इस तरह की पहलें और योजनाएं, जैसे महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा से संबंधित योजनाएं, महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं का बदलता रोल
महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। चाहे वह विज्ञान हो, राजनीति हो, खेल हो या कला – महिलाएं अब हर मोर्चे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। उनके संघर्ष और समर्पण के कारण ही कई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलाव संभव हो पा रहे हैं।
समाज में जागरूकता और भविष्य का रास्ता
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य सिर्फ महिलाओं को सम्मानित करना नहीं है, बल्कि समाज को यह याद दिलाना है कि महिलाओं के समान अधिकारों का संघर्ष अभी जारी है। जब तक महिलाओं को उनके अधिकार और बराबरी का दर्जा नहीं मिलता, तब तक यह दिन केवल प्रतीकात्मक रहेगा। महिला सशक्तिकरण के लिए समाज, सरकार और हर व्यक्ति को मिलकर काम करना होगा। तभी हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां महिलाओं के योगदान को सही मायनों में माना जाए और उनकी बराबरी का सम्मान हो।