Puri Stampede: ओडिशा के पुरी जिले में भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान रविवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया। श्री गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ मचने से तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि छह से सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा लगभग 50 अन्य श्रद्धालुओं के घायल होने की भी सूचना है। यह हादसा उस वक्त हुआ जब भारी भीड़ रथ खींचने के बाद सरधाबली इलाके में दर्शन के लिए उमड़ी थी।
सुबह 4 बजे हुआ हादसा
पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ एस. स्वैन ने बताया कि हादसा तड़के करीब चार बजे हुआ, जब सैकड़ों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के दर्शन के लिए मंदिर के पास एकत्र हुए थे। रथ सरधाबली इलाके में पहुंच चुका था, तभी भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।
विधि मंत्री ने दी जानकारी
ओडिशा के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने घटना की पुष्टि करते हुए इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया। उन्होंने कहा, “मैंने सुबह मुख्यमंत्री से बात की है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है और डीजीपी को मौके पर भेजा गया है।” मंत्री ने कहा कि हादसा भीड़ में दम घुटने और अनियंत्रित भीड़ के कारण हुआ है। “तीन लोगों की मौत हो चुकी है और छह से सात लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। मैं खुद पुरी जा रहा हूं,” उन्होंने कहा।
दो ट्रकों की एंट्री से बिगड़ा हालात
हादसे के पीछे एक और वजह सामने आई है। अधिकारियों के अनुसार, रथ यात्रा के दौरान अनुष्ठान की सामग्री ले जा रहे दो ट्रक अचानक भगवान जगन्नाथ और अन्य देवताओं के रथों के पास पहुंच गए, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ की स्थिति बन गई। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से छह की हालत नाजुक बनी हुई है।
मृतकों की पहचान
इस हादसे में जिन श्रद्धालुओं की जान गई है, उनकी पहचान बसंती साहू (बोलागढ़), प्रेमकांत मोहंती और प्रवती दास (बालिपटना) के रूप में हुई है। तीनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। पुरी निवासी स्वाधीन कुमार पंडा ने बताया कि “मैं रात 2-3 बजे तक मंदिर के पास था। वीआईपी के लिए नया रास्ता बना दिया गया था और आम श्रद्धालुओं को दूर से ही बाहर कर दिया गया। इससे लोग घबराकर प्रवेश द्वार से बाहर निकलने लगे, जिससे भीड़ बढ़ गई। यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह फेल थी।”
उन्होंने कहा कि कई ऐसे वाहन मंदिर के पास पहुंच गए जिनके पास अनधिकृत पास थे। “निकास द्वार की सही व्यवस्था नहीं थी और यही सबसे बड़ी वजह बनी। प्रशासन की यह सीधी लापरवाही है। वहां न तो पुलिस थी और न ही कोई उच्च अधिकारी मौजूद था,” पंडा ने कहा।
अब नियंत्रण में स्थिति
ओडिशा सरकार और पुलिस प्रशासन का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। हालांकि घटना ने रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
श्रद्धालुओं की जान चली जाना एक गहरी चिंता का विषय है और यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों में बेहतर सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की रणनीति अपनाई जाए ताकि धार्मिक उत्सवों की आस्था किसी त्रासदी में न बदल जाए।