Asaduddin Owaisi: एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कांवड़ यात्रा के बहाने मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों और भोजनालयों के मालिकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है, यहाँ तक कि कुछ से पैंट तक उतरवाने को कहा गया है।
क्या पहले नहीं होती थी कांवड़ यात्रा?
बुधवार, 2 जुलाई 2025 को ओवैसी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “मुजफ्फरनगर बाईपास के पास कई होटल और ढाबे हैं जो वर्षों से चल रहे हैं। क्या 10 साल पहले वहां कांवड़ यात्रा नहीं होती थी? तब कोई समस्या नहीं थी, कांवड़ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से होती थी। अब अचानक क्या बदल गया है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस इन होटलों में जाकर मालिकों से आधार कार्ड मांग रही है और उनके धर्म की जानकारी लेने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने कहा, “अब वे दुकानदारों की पैंट उतरवा रहे हैं। यह बेहद अपमानजनक और असंवैधानिक है।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के 22 जुलाई 2024 के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर डिस्प्ले करने का कोई कानूनी आधार नहीं है और ऐसे निर्देशों पर रोक लगाई गई थी।
उन्होंने कहा, “सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रही है? क्या कानून का राज नहीं है? होटल मालिकों को सिर्फ अपने मेन्यू की जानकारी डिस्प्ले करने का अधिकार है, न कि अपनी पहचान या धर्म का खुलासा करने का।”
पुलिस को असली दोषियों पर करनी चाहिए कार्रवाई
ओवैसी ने कहा कि प्रशासन का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है, न कि खास समुदाय को निशाना बनाना। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर कुछ असामाजिक तत्व दुकानदारों को परेशान कर रहे हैं, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं करती? वे निर्दोष दुकानदारों को क्यों परेशान कर रहे हैं?”
धर्म पूछना और होटल में जबरन घुसना गलत
एआईएमआईएम नेता ने आगे कहा, “यह तमाशा बंद होना चाहिए। पुलिस और प्रशासन को संविधान का पालन करना चाहिए। किसी के होटल में जबरदस्ती घुसकर उसका धर्म पूछना, यह न केवल गलत है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ भी है।”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
22 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के उस निर्देश पर रोक लगाई थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों को अपने नाम और मोबाइल नंबर बाहर लगाने को कहा गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उस आदेश को ‘छद्म आदेश’ बताया था और कोर्ट से दखल की मांग की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दुकानदारों को सिर्फ खाने के मेन्यू को डिस्प्ले करने की अनुमति है, न कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी को।
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