Radhika Murder Case: गुरुग्राम के सेक्टर 57 का वह घर, जहां 10 जुलाई की सुबह जन्मदिन की तैयारियों और खुशियों की हलचल होनी थी, कुछ ही पलों में मातम और खामोशी का गवाह बन गया। 25 साल की राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव के पिता ने ही पिता दीपक यादव जिन्होंने अपनी ही बेटी पर तीन गोलियां चला दीं। एक पल में वह रसोई, जहां प्यार और खुशबू होनी चाहिए थी, खून और सन्नाटे से भर गई।
“लोग कहते थे बेटी की कमाई खा रहा हूं”
दीपक यादव ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि गांव में लोगों की बातें उसे भीतर तक तोड़ रही थीं — कोई उसे बेटी की कमाई पर जीने वाला कहता, तो कोई राधिका के किरदार पर ऊंगली उठाता, खासकर उसके म्यूज़िक वीडियो में दिखने के बाद। लेकिन उसका गुस्सा उस वक्त और गहराया, जब राधिका को कंधे में चोट लगी और उसने टेनिस खेलना छोड़कर खुद की एकेडमी शुरू कर दी। वह अब बच्चों को ट्रेनिंग देने लगी थी। दीपक ने कई बार उसे अकादमी बंद करने को कहा, मगर राधिका अपने फैसले पर अडिग रही — और शायद उसकी यही हिम्मत पिता को सबसे ज्यादा चुभ गई।
रसोई में खून, ड्रॉइंग रूम में रिवॉल्व
10 जुलाई की सुबह करीब 10:30 बजे, नीचे रहने वाले राधिका के चाचा कुलदीप यादव और उनके बेटे पियूष ने गोलियों की आवाज़ सुनी। वे दौड़ते हुए ऊपर पहुंचे तो देखा कि राधिका खून से लथपथ रसोई में गिरी हुई थी, और पास के ड्रॉइंग रूम में मेज पर रिवॉल्वर पड़ा था — पांच गोलियां चली थीं, एक अभी बाकी थी।
वे बिना एक पल गंवाए राधिका को एशिया मारींगो अस्पताल लेकर भागे, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। चाचा कुलदीप ने पुलिस को बताया कि दीपक के मन में इतना ज़हर भरा है, इसका अंदाज़ा किसी को नहीं था — वो रिवॉल्वर घर में सबने देखा था, लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि वो बेटी की जान ले लेगा।
मां की आंखों से आंसू नहीं रुकते
मंजू यादव, जो अपने कमरे में लेटी थीं, अब अपनी बेटी की मौत पर सिर्फ चुप हैं। उन्होंने पुलिस से कहा कि उन्हें कुछ पता नहीं था, बस गोलियों की आवाज़ सुनी थी। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी नेक थी, मेहनती थी, कभी हमारे नाम पर कलंक नहीं लाई।”
जो बेटी अपनी मां के लिए सुबह-सुबह रसोई में कुछ स्पेशल बना रही थी, वही बेटी उस दिन दोबारा अपनी मां की आंखों के सामने कभी नहीं आ सकी।
कानूनी कार्रवाई और समाज को आईना
गुरुग्राम पुलिस ने दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया है और उस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से फिंगरप्रिंट्स, खून के नमूने और रिवॉल्वर को जब्त किया है।
यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, समाज में फैली उस कुंठा और अहंकार का चेहरा है, जो महिला की तरक्की को बर्दाश्त नहीं कर पाता। राधिका यादव की कहानी अब सिर्फ एक ट्रॉफियों वाली खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उन हजारों बेटियों की आवाज़ है जो अपने सपनों के लिए लड़ रही हैं — कभी अपनों से ही।
सुनिधि सिंह द्वारा लिखित
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