Delhi News: भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश में नशे की बढ़ती समस्या को लेकर गंभीर बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान से पंजाब के रास्ते नशा हिमाचल में पहुंच रहा है, जिससे राज्य के युवाओं और परिवारों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। उनके इस बयान ने हिमाचल और पंजाब के बीच एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
“हिमाचल बन रहा है ‘उड़ता पंजाब’?” – कंगना
कंगना ने संसद भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि “अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो हिमाचल के हालात भी पंजाब के उन गांवों जैसे हो जाएंगे, जहां अब सिर्फ महिलाएं और खिड़कियां बची हैं।” उन्होंने बताया कि नशे के कारण हिमाचल के युवा अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। माता-पिता के गहने बेच रहे हैं, गाड़ियां चुरा रहे हैं, घरों में खुद को बंद कर तोड़फोड़ कर रहे हैं।
इस बयान को हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला का भी समर्थन मिला। उन्होंने चेतावनी दी कि हिमाचल अगर नशे की समस्या पर जल्द नियंत्रण नहीं करता, तो आने वाले वर्षों में “उड़ता पंजाब” की स्थिति बन सकती है। 2012 में NDPS एक्ट के तहत दर्ज मामलों की संख्या जहां 500 थी, वहीं 2023 में ये आंकड़ा 2,200 पार कर चुका है, यानी 340% की बढ़ोतरी।
पुनर्वास केंद्रों की भारी कमी
राज्यपाल ने यह भी बताया कि हिमाचल में सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों की भारी कमी है। केवल कुल्लू में रेड क्रॉस द्वारा संचालित एक केंद्र है, जबकि सिरमौर में भूमि चिह्नित होने के बावजूद कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। उन्होंने इसे सरकार की गंभीरता की कमी बताया हैं।
कंगना के वार पर पंजाब वित्त मंत्री पलटवार
कंगना के बयान पर पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कंगना बिना तथ्य के बयान दे रही हैं, और उन्हें पहले भाजपा शासित राज्यों में नशे की स्थिति पर सर्वे कराना चाहिए। चीमा ने कहा कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और स्वयं हिमाचल में भी नशे की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
नशे से हो रही मौतों में लगातार इजाफा
देशभर में नशे के कारण मरने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
वर्ष | अनुमानित मौतें (ओवरडोज़) |
2015 | 1,176 |
2020 | 2,925 |
2024 | 4,295 |
2025 | 4,870+ (जुलाई तक) |
यह स्थिति बताती है कि नशा अब केवल एक राज्य की नहीं, पूरे देश की समस्या बन चुकी है।
कंगना रनौत के बयान ने भले ही विवाद खड़ा किया हो, लेकिन उन्होंने एक सच्चाई को उजागर किया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नशे की इस लड़ाई में सभी राज्यों को आपसी आरोप-प्रत्यारोप छोड़कर मिलकर काम करना होगा, वरना हर दिन हमारे युवा इस चुपचाप बढ़ते जहर की भेंट चढ़ते रहेंगे।
हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखित
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