Agra Conversion Case: उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आपको बता दें कि सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती कर एक उत्तराखंड की युवती को बहला-फुसलाकर उसका धर्म बदलवाने और चौथी शादी करने की साजिश रची गई थी। मुख्य आरोपी अब्दुल रहमान ने युवती का नाम बदलकर ‘मरियम’ रख दिया था और उसे दिल्ली ले जाकर निकाह करने की योजना बना ली थी। लेकिन ऐन मौके पर आगरा पुलिस ने समय रहते कार्रवाई कर युवती को बचा लिया।
21 वर्षीय यह युवती उत्तराखंड की रहने वाली है, जिसकी अब्दुल रहमान से सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी। दरअसल, छह साल पहले उसकी फेसबुक पर अबू तालिब नाम के युवक से पहचान हुई थी। बातचीत बढ़ी और फिर उसे ‘रीवर्ट टू इस्लाम’ नामक एक ग्रुप में जोड़ दिया गया। इसके बाद धीरे-धीरे युवती की बातचीत देश के विभिन्न हिस्सों के आरोपियों से होने लगी।
देशभर में फैला है कन्वर्जन सिंडिकेट का नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ है कि यह सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैले कन्वर्जन गैंग का हिस्सा है। इस मामले में अब तक छह राज्यों से 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से तीन मुख्य आरोपी जुनैद कुरैशी (दिल्ली), अब्दुल रहमान उर्फ महेन्द्र पाल (फिरोजाबाद, यूपी) और अब्दुल रहीम (दिल्ली) को 23 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, ये आरोपी सोशल मीडिया के जरिए देशभर की लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते थे।
युवती के अनुसार, आरोपियों ने उसका मानसिक रूप से ब्रेनवॉश करना शुरू किया। जब उसका फोन खराब हुआ, तो उसे नया फोन और रिचार्ज के पैसे दिए गए। साथ ही कहा गया कि अब मदद तभी मिलेगी जब वह इस्लाम कबूल कर अब्दुल रहमान से निकाह करेगी।
धर्मांतरण का दबाव, कोर्ट में दर्ज हुआ बयान
युवती को दिल्ली ले जाकर शादी कराने की तैयारी चल रही थी। यहां तक कि उसे हरिद्वार एक मुस्लिम ड्राइवर के जरिए भेजने की योजना थी। लेकिन इस बीच आगरा पुलिस को इनपुट मिला और तत्काल एक्शन लेकर युवती को सुरक्षित बचा लिया गया।
यह पूरा मामला ‘मिशन अस्मिता’ के तहत दर्ज हुआ है और युवती इस केस की मुख्य गवाह है। कोर्ट में दिए गए बयान में उसने बताया कि कैसे उसका नाम मरियम रखा गया, कैसे उसे कलमा पढ़ने को मजबूर किया गया और मोबाइल तोड़कर फेंकने तक कहा गया। पुलिस की सतर्कता से इस साजिश का पर्दाफाश हो पाया।
धर्म परिवर्तन पर हर व्यक्ति को होनी चाहिए स्वतंत्रता, दबाव नहीं
इस मामले ने समाज में फैले उस गंभीर खतरे की ओर इशारा किया है, जिसमें युवाओं को मानसिक रूप से प्रभावित कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। यह न केवल व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात है, बल्कि संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। हर व्यक्ति को अपने धर्म और आस्था को लेकर स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार है। अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से, सोच-समझकर धर्म बदलता है, तो यह उसकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, लेकिन जब यह प्रक्रिया दबाव, धोखे या मानसिक शोषण के जरिए होती है, तो यह एक गंभीर अपराध बन जाता है। समाज को चाहिए कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर आवाज उठाए और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी नागरिक की धार्मिक स्वतंत्रता में बाधा न डाली जाए।
हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखित
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