Maharashtra News: महाराष्ट्र की राजनीति में लगातार उथल-पुथल देखने को मिल रही है, और अब एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को अपने चचेरे भाई और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। यह मुलाकात मुंबई के बांद्रा स्थित मातोश्री निवास पर हुई, जो कई मायनों में बेहद खास और संकेतों से भरपूर रही।
13 साल बाद मातोश्री की दहलीज पर राज ठाकरे
इस मुलाकात को खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि राज ठाकरे करीब 13 साल बाद मातोश्री पहुंचे हैं। इससे पहले वे 2012 में अंतिम बार यहां आए थे। शनिवार को यह भेंट उद्धव ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर हुई, लेकिन इसके सियासी मायने इससे कहीं बड़े हैं। सुबह से ही राजनीतिक गलियारों में इस संभावित मुलाकात को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म था, और जब राज मातोश्री पहुंचे, तो इन अटकलों को और बल मिल गया।
2006 में हुआ था विभाजन
गौरतलब है कि 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर MNS का गठन किया था। तब से लेकर अब तक दोनों भाइयों के बीच ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत मतभेद भी जगजाहिर रहे। लेकिन बीते कुछ महीनों में कई ऐसे घटनाक्रम सामने आए हैं जिन्होंने इन दूरियों को कम करने की शुरुआत कर दी है।
‘विजय रैली’ में दिखी एकता
5 जुलाई, 2025 को मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित “विजय रैली” में दोनों नेता पहली बार वर्षों बाद एक मंच पर नजर आए। रैली का उद्देश्य मराठी अस्मिता और हिंदी भाषा को कक्षा 5 तक अनिवार्य किए जाने के विरोध पर आधारित था। मंच से दिए गए दोनों नेताओं के भाषणों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब मतभेदों की बजाय ‘महाराष्ट्र पहले’ का एजेंडा प्राथमिकता बन चुका है।
क्या बीएमसी चुनावों में एक साथ उतरेंगे ठाकरे बंधु?
आज की मुलाकात और बीते दिनों की राजनीतिक नजदीकियों के बाद यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या राज और उद्धव ठाकरे आगामी बीएमसी चुनावों में साथ मिलकर लड़ेंगे? रैली में उद्धव ठाकरे ने कहा था, “अनाज आधारित पंचायतों ने हमारे बीच की खाई को पाट दिया है, हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं,” वहीं राज ठाकरे ने भी यही सुर मिलाते हुए कहा, “महाराष्ट्र किसी भी झगड़े या विवाद से बड़ा है।”
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत
भले ही अभी तक किसी राजनीतिक गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन आज की इस मुलाकात ने यह साफ कर दिया है कि ठाकरे परिवार में रिश्तों की बर्फ पिघलने लगी है। आने वाले दिनों में अगर यह राजनीतिक समीकरण मजबूत होता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
नजरें अब आगामी चुनावों पर
अब सभी की निगाहें आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों पर टिकी हैं, जहां ठाकरे बंधुओं की एकजुटता कई दलों के लिए चुनौती बन सकती है। यदि दोनों पार्टियां मिलकर चुनावी मैदान में उतरती हैं, तो यह न सिर्फ शिवसेना की विरासत को मजबूत करेगा, बल्कि मुंबई की राजनीति की दिशा भी बदल सकता है।
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