सावन का महीना सिर्फ मौसम की नमी नहीं लाता, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नई हलचलें पैदा करता है। इन दिनों योगी सरकार में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर चर्चाएं गरम हैं। ऐसे में दिल्ली की एक मुलाकात ने और ज्यादा राजनीतिक रंग भर दिया है।
‘तीन नेताओं’ की तस्वीर, चर्चा तेज
हाल ही में भाजपा नेता निशिकांत दुबे के साथ यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की तस्वीरें सामने आईं। दो अलग-अलग तस्वीरों में दुबे पहले पाठक के साथ, फिर चौधरी के साथ नजर आए, लेकिन राजनीतिक गलियारों ने इसे ‘संयुक्त मुलाकात’ का नाम दे दिया।
टिप्पणी बनी सियासी चिंगारी
कुछ दिन पहले निशिकांत दुबे ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि “योगी आदित्यनाथ अकेले कुछ नहीं कर सकते।” यह बयान भाजपा समर्थकों को रास नहीं आया और दुबे पर हमले शुरू हो गए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस मुलाकात के दौरान उनके साथ वही दो नेता दिखे, जिनकी नाराजगी योगी सरकार से छिपी नहीं है।
नाराजगी और अफसरशाही की पकड़
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, कानून और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों के प्रभारी हैं, लेकिन अंदरूनी तौर पर उनकी अफसरों पर पकड़ कमजोर मानी जाती है। हाल ही में उन्होंने तबादला प्रक्रिया को शून्य कर प्रमुख सचिव पर सख्ती दिखाई, जिससे उनकी नाराजगी साफ नजर आई।
संगठन से खटपट
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी संगठन के कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की लगातार अनदेखी को लेकर असंतोष जता चुके हैं। उनकी आवाज़ अंदर ही अंदर संगठन की कमजोरियों को लेकर मुखर रही है।
दिल्ली की मुलाकात का असली एजेंडा क्या?
सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात दरअसल दिल्ली स्थित ‘कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब ऑफ इंडिया’ के चुनाव को लेकर हुई थी। वर्तमान सचिव राजीव प्रताप रूडी को चुनौती दे रहे हैं पश्चिमी यूपी के मजबूत नेता संजीव बालियान। बालियान की छवि ‘देसी सोच’ वाले नेता के रूप में है और यही छवि इन तीनों नेताओं के नजरिए से मेल खाती है।
देसी बनाम विदेशी विचारधारा की लड़ाई
इस बार क्लब चुनाव को देसी बनाम विदेशी संस्कृति समर्थकों की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है। निशिकांत दुबे, बृजेश पाठक और भूपेंद्र चौधरी जैसे नेताओं का बालियान के समर्थन में आना इसी विचारधारा की रणनीतिक एकता का हिस्सा माना जा रहा है।
मुलाकात से उठे कई सवाल
इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में दो विचारों को जन्म दिया—
“तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा”
“खूब मिला रंग, जब मिलकर बैठे तीनों संग”
हालांकि अंदरूनी सच्चाई क्या है, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि यूपी भाजपा के भीतर कुछ बड़ा पक रहा है, जिसका स्वाद आने वाले महीनों में प्रदेश की राजनीति को निश्चित ही प्रभावित करेगा।
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