Nithari Case: नोएडा के बहुचर्चित निठारी सीरियल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ ही सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार, और पीड़ित परिवारों द्वारा दायर की गई सभी अपीलें खारिज कर दी गई हैं।
जांच एजेंसियों पर भी उठे सवाल
इससे पहले निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी, जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामलों में दोषी करार दिया गया था। हालांकि हाईकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में दोनों को बरी कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि ठोस सबूतों की गैरमौजूदगी में दोषसिद्धि नहीं दी जा सकती।
अब भी अनसुलझा है सबसे बड़ा सवाल
निठारी कांड में मोनिंदर पंढेर के घर के पीछे से मिले नरकंकालों ने पूरे देश को झकझोर दिया था। अदालत के फैसले के बाद अब यह सवाल फिर उठने लगा है — आखिर उन हत्याओं का जिम्मेदार कौन था? जांच एजेंसियों की निष्क्रियता और जांच में कमियों को लेकर कोर्ट ने भी अपनी चिंता जताई है।
न्याय की तलाश अभी बाकी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित परिवारों में निराशा का माहौल है। उनका कहना है कि न्याय नहीं मिला और अब वे वैकल्पिक कानूनी रास्तों पर विचार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि शीर्ष अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन फैसला उनके पक्ष में नहीं गया।
सुरेंद्र कोली अब भी एक मामले में जेल में
जहां मोनिंदर सिंह पंढेर अब सभी मामलों से पूर्णतः बरी हो चुके हैं, वहीं सुरेंद्र कोली अब भी एक अन्य मामले में जेल में हैं। उनकी रिहाई तभी संभव होगी जब वह अंतिम मामला भी समाप्त होगा या कोर्ट से राहत मिलेगी।
जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर हो समीक्षा
इस केस में जांच एजेंसियों की निष्क्रियता, सबूतों की कमी और अनुचित प्रक्रियाओं पर कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। यह केस देश की जांच प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करता है। क्या भविष्य में ऐसे मामलों की जांच और निष्पक्ष होगी? यह सोचने का समय है।
नैतिक तौर पर अब भी अधूरा निठारी कांड, जो एक समय पर पूरे देश के लिए सदमे की तरह था, अब कानूनी तौर पर लगभग समाप्त हो चुका है। लेकिन पीड़ितों और समाज के लिए यह अध्याय अभी भी अनुत्तरित सवालों से भरा हुआ है।
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