Uttarkashi News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को हुई भीषण आपदा ने पूरे क्षेत्र को दहला कर रख दिया। अचानक हुए बादल फटने और पहाड़ टूटने से मलबे का एक विशाल सैलाब गांव में घुस आया, जिसने दर्जनों लोगों को और उनके घरों को करीब 30 से 40 फीट ऊंचे मलबे के नीचे दफन कर दिया।
जैसे नक्शे से मिट गया गांव
धराली गांव में जो कुछ हुआ, उसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। पहाड़ी से टूटकर आए विशाल मलबे ने न सिर्फ घरों को ध्वस्त कर दिया, बल्कि खेत-खलिहान, रास्ते और पूरी की पूरी बस्तियां मलबे के ढेर में तब्दील हो गईं। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे धराली गांव मानचित्र से ही मिटा दिया गया हो।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
राज्य और केंद्र सरकार की ओर से एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना को राहत एवं बचाव कार्य में लगाया गया है। जवान दिन-रात जुटे हैं ताकि किसी तरह मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। लेकिन तेज बारिश और मौसम की बिगड़ती स्थिति ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
फिर शुरू हुई मूसलधार बारिश
8 अगस्त को उत्तरकाशी में दोबारा तेज बारिश शुरू हो गई, जिससे पहले से जारी राहत कार्य में बड़ी रुकावट आ गई है। मौसम विभाग ने 8 अगस्त को शाम 5 बजे से 8 बजे तक के लिए भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है।
जिला प्रशासन के अनुसार, भारी बारिश के कारण न सिर्फ मलबा और कीचड़ और जमा हो रहा है, बल्कि सड़क मार्ग भी बाधित हो गया है, जिससे बड़ी मशीनरी और आवश्यक राहत सामग्री धराली तक नहीं पहुंच पा रही है।
अगले तीन दिन बेहद कठिन
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 8 से 10 अगस्त तक उत्तरकाशी जिले में मध्यम से भारी बारिश के आसार हैं। कई स्थानों पर तेज आंधी और बिजली गिरने की भी संभावनाएं हैं।
11 अगस्त को आंशिक राहत मिल सकती है, लेकिन येलो अलर्ट अब भी जारी है।
12 और 13 अगस्त को मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है, परंतु रेस्क्यू टीमों को तब तक और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रामीणों की हालत चिंताजनक
गांव में अब भी कई लोग लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है। मलबे में दबे लोगों को निकालना बेहद जोखिमपूर्ण और जटिल हो गया है। धराली में रह रहे लोगों को भोजन, दवाइयां और पानी जैसी जरूरी चीजें समय पर नहीं मिल पा रही हैं, क्योंकि इलाके तक पहुंचने के सभी रास्ते बाधित हैं।
प्रशासन की अपील
जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों से सतर्क रहने और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने की अपील की है। साथ ही राहत कार्य में लगे जवानों और स्वयंसेवकों से धैर्य और संयम बनाए रखने की गुजारिश की गई है।
यह आपदा उत्तराखंड की उन भयंकर प्राकृतिक घटनाओं में से एक बन चुकी है, जिसने ना केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि इस पहाड़ी राज्य की भौगोलिक चुनौतियों को एक बार फिर उजागर कर दिया।