Bihar News: देश की सियासत में इन दिनों मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर घमासान मचा हुआ है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि वे बिहार एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाले हैं, और यह मामला मंगलवार को निर्धारित है।
“कानूनी वैधता पर होगा आकलन, न कि राजनीतिक तर्कों पर”
सांसद सिंघवी ने स्पष्ट किया कि यह मामला पूरी तरह से कानूनी प्रकृति का है और सुप्रीम कोर्ट में जो तर्क रखे जाएंगे, वे भी कानूनी आधार पर होंगे। उन्होंने कहा,
“मैं एक महत्वपूर्ण बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई कानून वैध है या अवैध, यह इस बात से तय होता है कि वह कानूनी प्रावधानों के अनुसार है या नहीं – न कि इससे कि वह सही, तार्किक या आवश्यक लगता है या नहीं।”
राहुल गांधी से हलफनामा मांगना हास्यास्पद
सिंघवी ने चुनाव आयोग की उस प्रतिक्रिया को “हास्यास्पद” करार दिया जिसमें आयोग ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से उनके आरोपों के संदर्भ में हलफनामा मांगा है। उन्होंने कहा कि अगर किसी संसदीय क्षेत्र की एक या दो विधानसभा सीटों में वोट चोरी होती है, तो पूरा चुनाव परिणाम बदल सकता है।
“यह एक गंभीर मामला है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, लेकिन जांच करने की बजाय राहुल गांधी पर ही हमला शुरू कर दिया गया। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, उसे राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर स्पष्ट और संतुलित जवाब देना चाहिए।”
“हर मुद्दे को नेहरू जी से जोड़ना सरकार की आदत बन गई है”
सिंघवी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मौजूदा सत्ता हर विषय पर कहती है कि “यह तो नेहरू जी लेकर आए थे”। उन्होंने सवाल उठाया कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही एसआईआर की जरूरत क्यों पड़ी?
“आप यह प्रक्रिया दिसंबर के बाद भी कर सकते थे। चुनाव आयोग खुद मान चुका है कि 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं।”
चुनाव आयोग पर पारदर्शिता का सवाल
सिंघवी ने आरोप लगाया कि इस बार मतदाता सूची में नाम जोड़ने के बजाय बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं, और इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा है। उन्होंने कहा कि अगर एसआईआर में गलती है तो उसकी जांच करके उसे निरस्त किया जा सकता है, लेकिन चुनाव आयोग इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है।