Bihar News: बिहार में एसआईआर (Special Intensive Revision) को लेकर जारी राजनीतिक घमासान के बीच चुनाव आयोग ने रविवार, 17 अगस्त 2025 को विपक्ष के आरोपों पर औपचारिक जवाब दिया है। आयोग ने साफ शब्दों में कहा कि भारत के संविधान के तहत हर नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, उसे मतदान का अधिकार है और उसे इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
‘चुनाव आयोग कैसे कर सकता है पक्षपात?’
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष के पक्षपात के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि, “कानून के अनुसार, देश में हर राजनीतिक पार्टी का अस्तित्व चुनाव आयोग के पंजीकरण से होता है। ऐसे में आयोग कैसे किसी के पक्ष में पक्षपात कर सकता है? यह संस्थान सभी के लिए समान रूप से कार्य करता है।”
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से सभी राजनीतिक दल वोटर लिस्ट में पारदर्शिता और सुधार की मांग कर रहे हैं। उन्हीं मांगों को ध्यान में रखते हुए बिहार से एसआईआर की शुरुआत की गई है, ताकि मतदाता सूची को अधिक सटीक और अद्यतन बनाया जा सके।
‘वोट चोरी’ के आरोपों पर क्या बोला आयोग?
ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष द्वारा लगाए गए वोट चोरी के आरोपों को “गलत शब्दावली” करार दिया और कहा कि “अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाएं, अगर कोई मतदाता अपने अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चुनाव याचिका तय समय (45 दिन) के भीतर दाखिल नहीं करता और उसके बाद ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है, तो यह न केवल भ्रामक है बल्कि संविधान का अपमान भी है।”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा व्यवहार देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश है।
‘बिहार SIR को लेकर फैलाई जा रही है गलत जानकारी’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और इसमें सुधार के लिए अब भी 15 दिन का समय शेष है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ दल और नेता इस प्रक्रिया को लेकर जानबूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं, जिससे आम जनता भ्रमित हो रही है।
“चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से खुले हैं। बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहे हैं। ऐसे में भ्रम फैलाना लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है,” – ज्ञानेश कुमार।