राजनीति

अपना यूपी

क्राइम

बड़ी खबर

स्पोर्ट्स

वेब स्टोरीज

खबर

France News: सड़कों पर क्यों उतरी फ्रांस की जनता, ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन की कहानी, क्या है आंदोलन के पिछे की वजह ?

by | Sep 11, 2025 | क्राइम, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

France News: काठमांडू के बाद अब पेरिस की सड़कों पर भी गुस्सा है। नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी जनता आंदोलन पर उतर आई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में गिरफ्तारियां हो रही हैं, प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं और हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सरकार ने बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कर दी है, लेकिन ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन हर दिन और बड़ा होता जा रहा है।

स्कूल से लेकर ऑफिस और अस्पताल से लेकर मेट्रो तक हर जगह हड़ताल जैसे हालात हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सरकारी सेवाएं और बाजार ठप हो रहे हैं। फ्रांस की ये हालत सिर्फ वहां की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है, खासकर भारत के लिए, जो फ्रांस के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार करता है।

फ्रांस में इस वक्त ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम का बड़ा जन आंदोलन चल रहा है। मकसद है – हर जरूरी सेवा को ठप कर देना, ताकि सरकार जनता की मांगें सुने इस आंदोलन की आग स्कूलों, दफ्तरों, अस्पतालों और ट्रेनों तक पहुंच चुकी है। लोगों का गुस्सा सिर्फ एक मुद्दे पर नहीं, कई सालों से जमा असंतोष का नतीजा है।

  • फ्रांस पंचम गणराज्य (Fifth Republic) के तहत 1958 से चला आ रहा है।
  • यहां राष्ट्रपति सर्वोच्च होता है, जिसे जनता चुनती है।
  • सरकार में प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री होते हैं, जो राष्ट्रपति के अधीन काम करते हैं।
  • वर्तमान राष्ट्रपति हैं इमैनुएल मैक्रों।

1. पेंशन सुधार

  • सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 कर दी।
  • मजदूर वर्ग को लगता है कि ये उनके साथ अन्याय है।
  • लोग कह रहे हैं, “हम पूरी ज़िंदगी काम करें और आराम करने का वक्त ही ना मिले?”

2. युवाओं का गुस्सा

यूनिवर्सिटी फीस बढ़ी है, नौकरियां नहीं हैं। पुलिस की हिंसा और नस्लभेद से युवा खासे नाराज़ हैं।

3. राजनीतिज्ञों से भरोसा उठ रहा है

लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति मैक्रों केवल अमीरों के लिए काम कर रहे हैं, गरीब और ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं है।

4. जीवन जीना मुश्किल हो गया है

खर्चे आसमान पर हैं। मंहगाई बढ़ रही है, लेकिन तनख्वाहें नहीं। गांवों में लोग कह रहे हैं सरकार सिर्फ शहरों को देखती है।

5. सामाजिक भेदभाव

धर्म, नस्ल और पहचान को लेकर बहस और भेदभाव बढ़ा है। प्रवासी और अल्पसंख्यक खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं।

6. राजनीतिक ध्रुवीकरण

मैक्रों को “अमीरों का राष्ट्रपति” कहा जाने लगा है। दूसरी तरफ दक्षिणपंथी और वामपंथी पार्टियों का समर्थन बढ़ रहा है, जिससे राजनीति और ज़्यादा बंटी हुई दिख रही है।

  • नेपाल में सेना ने सत्ता संभाल ली है और वहां राजनीतिक अस्थिरता लंबे समय से चल रही है।
  • फ्रांस में राजनीतिक सिस्टम मजबूत है, लेकिन जनता का सिस्टम से भरोसा उठ रहा है।

मतलब – दोनों जगह जनता नाराज है, पर वजहें और सिस्टम अलग हैं।

फ्रांस यूरोप का एक मजबूत लोकतंत्र माना जाता है, लेकिन अब वहीं लोग लोकतंत्र से नाराज़ हो रहे हैं।
हर दिन बढ़ते आंदोलन और हड़ताल से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

  • क्या मैक्रों सरकार कोई बड़ा फैसला लेगी?
  • क्या पेंशन सुधार वापस लिए जाएंगे?
  • क्या देश में चुनावों की मांग उठेगी?

ये सवाल अब सिर्फ फ्रांस के नहीं, बल्कि दुनिया के सामने हैं।

भारत और फ्रांस के व्यापारिक और रक्षा संबंध काफी मजबूत हैं। राफेल जैसे रक्षा सौदों से लेकर तकनीकी सहयोग तक, दोनों देशों की साझेदारी गहरी है। अगर फ्रांस में हालात और बिगड़े, तो इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महसूस हो सकता है।

ये भी पढ़ें: Uttarakhand News: केदारनाथ में ग्लेशियर से हल्का एवलांच, कोई नुकसान नहीं, अलर्ट मोड पर प्रशासन

ये भी देखें: Mayawati On Akash Anand: आकाश आनंद को नई कमान!, क्या अब बिहार चुनाव में मचेगा घमासान?

अपना यूपी

क्राइम

आपका जिला

वीडियो

ट्रेंडिंग

बड़ी खबर