Akhilesh Yadav on Trump’s H-1B: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें H-1B वीजा आवेदकों को प्रायोजित करने वाली कंपनियों से 100,000 डॉलर तक की फीस वसूलने का आदेश दिया गया है। शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि अमेरिका ऐसा पहली बार भारत के साथ नहीं कर रहा है। उनका मानना था कि भारत की विदेश नीति कमजोर हो चुकी है और हमें इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
अखिलेश यादव ने कहा, “हम क्यों कमजोर दिख रहे हैं? हमारी तैयारी क्या है? जब दूसरे देश इस तरह से कदम उठाएंगे तो हम कैसे प्रतिक्रिया देंगे? क्या हमारी विदेश नीति और आर्थिक स्थिति ऐसी होनी चाहिए थी? हमें यह दिखाना चाहिए था कि हम आर्थिक रूप से मजबूत हैं, लेकिन हम अब भी ऐसा नहीं दिख रहे हैं।”
उन्होंने भारत की बढ़ती विदेशों पर निर्भरता पर भी चिंता जताई। अखिलेश ने कहा, “हम दूसरे देशों पर निर्भर होते जा रहे हैं। खाद्य सामग्री के लिए हम दूसरे देशों से मंगाते हैं। और जिस देश से हमारी ज़मीन को लेकर विवाद है, उसी के साथ हमारा व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है।”
“गौशालाओं में भ्रष्टाचार और गायों की मौत”
अखिलेश यादव ने इस मौके पर बीजेपी सरकार पर गौशालाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा, “बीजेपी वाले गौशालाओं में गायों का दूध और गोबर बेचने तक का काम कर रहे हैं। चारा में भी भ्रष्टाचार हो रहा है और बड़े पैमाने पर गायों की जान जा रही है।” अखिलेश ने आरोप लगाया कि जेसीबी मशीनों के जरिए गौशालाओं में मरी हुई गायों को दफनाया जा रहा है, जो एक गंभीर मुद्दा है।
नदियों की सफाई और आदिवासी अधिकारों की अनदेखी
अखिलेश यादव ने नदियों की सफाई को लेकर भी बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “बजट तो साफ हो गया है, लेकिन नदियां साफ नहीं हो पाई हैं। हमारे आदिवासी भाईयों के अधिकारों की भी लगातार अनदेखी हो रही है।” इसके अलावा, उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा जानवरों और अन्ना पशुओं की समस्या के समाधान के लिए किए गए प्रयासों पर सवाल उठाया और कहा कि प्रधानमंत्री से जो आश्वासन मिला था, वह अब तक पूरा नहीं हुआ है।
कुल मिलाकर, अखिलेश यादव ने एक के बाद एक कई मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करने की जरूरत है। उनका यह भी कहना था कि अगर हम दूसरे देशों से सीखकर अपनी स्थिति मजबूत नहीं करेंगे, तो आने वाले समय में हमें और भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
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