Asaduddin Owaisi: अहमदनगर (महाराष्ट्र) में एक जनसभा को संबोधित करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत उन्हें भेजे गए नोटिस को लेकर केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। ओवैसी ने कहा कि जब दूसरे विपक्षी नेताओं को ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला, तो सिर्फ उन्हें ही क्यों? उन्होंने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि यह नई आपराधिक कानून व्यवस्था विपक्ष की आवाज दबाने का एक जरिया बन गई है।
“मेरे खिलाफ ही नोटिस क्यों?”
ओवैसी ने अपनी बात रखते हुए साफ कहा, “अगर BNSS सबके लिए है, तो फिर ये नोटिस सिर्फ मुझे क्यों? क्या इसलिए कि मैं सबसे ज्यादा सरकार की आलोचना करता हूं?” उन्होंने बताया कि BNSS की धारा 223 के मुताबिक किसी को नोटिस देने से पहले शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान लेना जरूरी है, लेकिन उनके केस में ये प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि कोर्ट ने भी साफ कहा है कि बिना बयान के दिया गया नोटिस अवैध है। “फिर मेरे साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया गया?” – ओवैसी ने सवाल उठाया।
“ये नोटिस तो लव लेटर जैसा है”
अपने चिर-परिचित अंदाज़ में ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, “खामखा मुझे ये लव लेटर भेज रहे हैं। क्या आपको लगता है मुझे अपने देश से मोहब्बत नहीं है? सिर्फ आप जो बोलेंगे, वही सच होगा?” उन्होंने आगे कहा, “अगर गांधी और भगत सिंह आज होते, तो वे भी इस कानून का विरोध करते।”
“BNSS न्याय नहीं, विपक्ष को दबाने का हथियार”
ओवैसी ने संसद में दिए अपने 20 मिनट के भाषण में BNSS को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि इस नए कानून के तहत पुलिस हिरासत 15 दिन से बढ़ाकर 90 दिन तक की जा सकती है, जिससे ज़मानत लेना और भी मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि BNSS में फॉरेंसिक जांच उन मामलों में अनिवार्य है जहां सजा सात साल से ज्यादा की हो सकती है, लेकिन उनके केस में इसका पालन भी नहीं हुआ। यानी कानून की ही अनदेखी हो रही है।
“ये लोकतंत्र पर हमला है”
ओवैसी ने संसद के 2023 सत्र का जिक्र करते हुए कहा, “उस समय 151 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। अब फिर वही इतिहास दोहराया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने राजनीति देश सेवा के लिए चुनी है, डर के लिए नहीं। अगर यह कानून सच में न्याय का दावा करता है, तो फिर सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए।
केंद्र सरकार का जवाब और विपक्ष की रणनीति
गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि नोटिस भेजना कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन ओवैसी इसे “निंदा आधारित न्याय” यानी बदले की भावना से उठाया गया कदम बता रहे हैं।
अब विपक्ष इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। ओवैसी ने अपने भाषण का अंत इस लाइन से किया – “मैं डरने वाला नहीं हूं। ये लड़ाई सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि न्याय और लोकतंत्र के लिए है।”
BNSS लागू होने के बाद इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन ओवैसी का मुद्दा सिर्फ एक नेता के खिलाफ कार्रवाई का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। अगर कानून सबके लिए है, तो फिर उसका पालन सबके साथ एक जैसा क्यों नहीं हो रहा? यही सवाल अब देश में बहस का मुद्दा बन रहा है।
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