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Vande Mataram Controversy: “वंदे मातरम् के जरिए मुसलमानों को अलग-थलग करने…!”, आखिर DMK सांसद ने ऐसा क्यों कहा?

by | Dec 9, 2025 | ख़बर, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Vande Mataram Controversy: लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् को लेकर बहस हुई। उसी दौरान DMK सांसद ए. राजा ने गीत से जुड़े इतिहास का हवाला देते हुए अपना तर्क रखा। उन्होंने वंदे मातरम् को मुसलमानों के खिलाफ बताया। जिसके बाद हर तरफ बवाल मचा हुआ है। अब सबके मन में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में वंदे मातरम् मुसलमानों के खिलाफ या फिर सिर्फ बिना बात का मुद्दा बना बनाने की कोशिश। आइए जानते है  क्या है पूरा मामला?

वंदे मातरम्  मुसलमानों कर देगा अलग-थलग?

जैसे कि आप जानते है कि लोकसभा में वादें मातरम् को लेकर चर्चाएं जारी है।जिस पर विपक्ष की ओर से बयानबाजी जारी है। वहीं अब इसपर DMK सांसद ए. राजा का एक विवादीत बयान सामने आया है। दरअसल, वंदे मातरम् को लेकर सोमवार को लोकसभा में चर्चा हुई। उसी दौरान DMK सांसद ए. राजा ने दावा किया कि 20वीं सदी की शुरुआत में इस गीत को ऐसे रूप में प्रस्तुत किया गया। जिससे मुसलमानों को अलग-थलग करने का राजनीतिक उद्देश्य पूरा हो सके। आगे उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक नहीं था, बल्कि कई ऐतिहासिक संदर्भ बताते हैं कि इसके कुछ हिस्से समुदायों के बीच तनाव का कारण भी बने।

ए. राजा ने प्रधानमंत्री पर साधा निशाना

साथ ही राजा ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अक्सर अपने भाषणों में “तुष्टिकरण” शब्द का उल्लेख करते हैं, लेकिन वंदे मातरम् के इतिहास में स्वयं सत्ता एवं समाज के स्तर पर कई प्रकार के तुष्टिकरण किए गए। वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया, लेकिन इसके कई छंद मूर्तिपूजा और धार्मिक प्रतीकों से जुड़े होने के कारण मुस्लिम समुदाय में लंबे समय से असहजता का कारण रहे हैं।

महात्मा गांधी ने भी वंदे मातरम् का किया था विरोध!

सांसद ने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधीजी ने 1915 में इस गीत की सराहना की थी, लेकिन 1940 में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इसे किसी को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं गाया जाना चाहिए। राजा के अनुसार 1905–1908 के बीच ब्रिटिश शासन के गृह विभाग ने यह दर्ज किया था कि बंगाल में नमाज के समय मस्जिदों के पास से गुजरने वाले कुछ हिंदू जुलूस वंदे मातरम् का जोरदार नारे लगाते थे, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ता था। उन्होंने यह भी कहा कि 1907 में पर्चे बांटे गए थे जिनमें मुसलमानों से वंदे मातरम् न गाने और स्वदेशी आंदोलन से दूर रहने की अपील की गई थी।

वंदे मातरम् के कुछ छंद  मुसलमानों के खिलाफ है!

अंत में राजा ने कहा कि इन ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर यह मानने के कारण मौजूद हैं कि वंदे मातरम् के कुछ छंद न केवल अंग्रेजों के खिलाफ थे, बल्कि मुसलमानों के खिलाफ भी इस्तेमाल हुए।

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