Noida Authority: नोएडा में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी बड़ी कार्रवाई सामने आई है। नोएडा अथॉरिटी ने बकाया राशि जमा न करने वाले दो बिल्डरों के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से जांच कराने की मांग की है। दोनों बिल्डरों पर कुल मिलाकर करीब 472 करोड़ रुपये का बकाया है। अथॉरिटी का कहना है कि लंबे समय से नोटिस देने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
बकाया वसूली को लेकर सख्ती बढ़ी
नोएडा अथॉरिटी ने स्पष्ट कर दिया है कि अब बकायेदार बिल्डरों के खिलाफ नरमी नहीं बरती जाएगी। अथॉरिटी ने दिल्ली की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) को पत्र लिखकर दोनों मामलों की वित्तीय जांच कराने का अनुरोध किया है। इससे पहले भी अथॉरिटी सात अन्य बिल्डरों के मामलों को EOW के पास भेज चुकी है, जिससे यह साफ है कि प्रशासन अब बकाया वसूली को लेकर आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
पहला मामला: सेक्टर-50 का ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट
अथॉरिटी की एडिशनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर वंदना त्रिपाठी के अनुसार, पहला मामला ग्रुप हाउसिंग प्लॉट नंबर F-21/C, सेक्टर-50, नोएडा से जुड़ा है। यह करीब 12,750 वर्ग मीटर का प्लॉट 26 दिसंबर 2008 को TGB इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को अलॉट किया गया था।
अथॉरिटी ने समय-समय पर प्लॉट की कीमत और बकाया भुगतान के लिए नोटिस जारी किए, लेकिन बिल्डर की ओर से न तो कोई संतोषजनक जवाब दिया गया और न ही राशि जमा की गई।
अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों का भी लाभ नहीं लिया
नोएडा अथॉरिटी के अनुसार, संबंधित बिल्डर को अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों के तहत राहत पाने का अवसर भी दिया गया था, लेकिन उसने इसका लाभ नहीं उठाया। वर्तमान में इस बिल्डर पर करीब 75.59 करोड़ रुपये बकाया हैं। अथॉरिटी ने अब इस राशि की रिकवरी और वित्तीय लेन-देन की गहन जांच के लिए EOW को पत्र भेज दिया है।
दूसरा मामला: सेक्टर-143 का बड़ा प्रोजेक्ट
दूसरा मामला ग्रुप हाउसिंग प्लॉट GS-3B, सेक्टर-143, नोएडा से जुड़ा हुआ है। यह करीब 50,000 वर्ग मीटर जमीन 7 जुलाई 2011 को किंडल इंफ्राहाइट्स लिमिटेड को अलॉट की गई थी।
अथॉरिटी का कहना है कि इस बिल्डर को भी बकाया भुगतान के लिए कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। 31 नवंबर 2025 तक इस बिल्डर पर कुल 396.96 करोड़ रुपये बकाया हो चुके हैं।
EOW से वित्तीय जांच की मांग
नोएडा अथॉरिटी ने इस मामले में भी EOW को पत्र लिखकर बकाया राशि की रिकवरी के साथ-साथ कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड, लेन-देन और संभावित अनियमितताओं की जांच कराने की मांग की है। अथॉरिटी का मानना है कि आर्थिक अपराध शाखा की जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि बकाया भुगतान न करने के पीछे क्या कारण हैं।
विकास कार्यों पर पड़ रहा असर
अथॉरिटी अधिकारियों का कहना है कि बिल्डरों से समय पर भुगतान न मिलने के कारण नोएडा में बुनियादी ढांचे और विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं। सड़क, सीवर, जलापूर्ति और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए इन बकाया राशियों की अहम भूमिका होती है।
अन्य बिल्डरों के लिए सख्त संदेश
नोएडा अथॉरिटी की इस कार्रवाई को अन्य बिल्डरों के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि यदि भविष्य में भी बकाया भुगतान में लापरवाही बरती गई, तो और भी सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
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