VB–G RAM G Bill: लोकसभा में ग्रामीण रोजगार से जुड़े नए जी-राम-जी (G-RAM-G) विधेयक के पारित होने के दौरान बुधवार को जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। चर्चा के अंतिम चरण में विपक्षी सांसदों द्वारा बिल की प्रतियां फाड़े जाने से राजनीतिक टकराव और तेज हो गया। सत्ता पक्ष ने इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन बताया, जबकि विपक्ष ने सरकार पर बिना पर्याप्त विमर्श के कानून पारित कराने का आरोप लगाया।
ध्वनिमत से पास हुआ विधेयक
हंगामे के बावजूद विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) से जुड़ा यह विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। यह कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के स्थान पर लाया गया है, जिसे लेकर विपक्ष की ओर से लगातार आपत्तियां जताई जा रही थीं।
सदन में फटे कागज़, बढ़ा विवाद
जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सदन में सरकार का पक्ष रख रहे थे, उसी दौरान विपक्षी सांसदों ने विरोध स्वरूप विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं। इस दृश्य के बाद सदन में अफरा-तफरी जैसी स्थिति बन गई। सत्ता पक्ष ने इस कदम को असंवैधानिक और संसदीय परंपराओं के खिलाफ बताया।
शिवराज सिंह चौहान का तीखा बयान
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आचरण लोकतंत्र की आत्मा को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि पूरी रात लंबी चर्चा हुई, विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिला, लेकिन जवाब के समय इस तरह का व्यवहार लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह का विरोध महात्मा गांधी के आदर्शों के खिलाफ नहीं है, जिनके नाम पर राजनीति की जा रही है।
सरकार ने गिनाईं बिल की प्रमुख विशेषताएं
सरकार का कहना है कि यह विधेयक ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि नई योजना में रोजगार भुगतान को समयबद्ध बनाया गया है। यदि मजदूरी 15 दिन के भीतर नहीं मिलती, तो विलंब पर अतिरिक्त भुगतान का प्रावधान किया गया है।
सरकार के अनुसार, “विकसित गांव ही विकसित भारत की नींव हैं” और इस लक्ष्य के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई है।
विपक्ष का आरोप, नाम हटाकर कमजोर किया गया कानून
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि यह विधेयक जल्दबाजी में पारित किया गया और इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाकर इसकी आत्मा को कमजोर किया गया है। साथ ही केंद्र और राज्यों के बीच फंडिंग पैटर्न बदलने पर भी सवाल उठाए गए।
सपा और अन्य दलों की आपत्ति
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि गांधी का नाम हटाना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं बल्कि वैचारिक संदेश देता है। उनका कहना था कि इस बदलाव से यह योजना आने वाले वर्षों में कमजोर हो सकती है। विपक्ष का मानना है कि इससे गरीबों और ग्रामीण मजदूरों को नुकसान होगा।
भाजपा का पलटवार
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के प्रदर्शन को अराजक बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में असहमति का अधिकार है, लेकिन संसद के भीतर कागज़ फाड़ना और व्यवधान पैदा करना स्वीकार्य नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी जी केवल नाम में नहीं, बल्कि जमीन पर उतरने वाली योजनाओं में दिखाई देते हैं।
सियासत तेज, मामला राज्यसभा जाएगा
लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वह वहां भी इसका विरोध करेगा और इसे JPC में भेजने की मांग जारी रखेगा। वहीं सरकार इसे ऐतिहासिक सुधार बताते हुए मजबूती से आगे बढ़ाने के मूड में है।
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